केंद्र सरकार का एहम फ़ैसला : नही कर सकते 21 वर्ष से पहले बेटियों की शादी, लेकिन क्यूँ?

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लड़कियों की शादी की उम्र को लेकर ये अबतक का तीसरा मुख्य बदलाव है जिसे निति आयोग टास्क फाॅर्स के प्रस्ताव के कारण लागू करवाया जा सका है। यहाँ पढ़ें..

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यूनियन कैबिनेट ने अब लड़कियों की शादी की उम्र 18 से 21 वर्ष तक बढ़ा दी है। पिछले साल स्वतंत्रता दिवस के दिन, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी ने अपने भाषण में बेटियों और बहनों के स्वास्थ्य को लेकर ये बात कही थी कि "बेटियों को कुपोषण से बचाने के लिए जरूरी है कि उनकी सही उम्र में शादी की जाए"। जिसके बाद, जया जेटली जी के नेतृत्व में निति आयोग टास्क फाॅर्स बनाई गयी। इस टास्क फोर्स में स्वास्थ्य मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास विभाग, और कानून और न्याय मंत्रालय के टॉप अफसर भी शामिल थे।

अबतक, लड़कों की शादी की उम्र 21 वर्ष और लड़कियों की 18 वर्ष थी। लेकिन, निति आयोग टास्क फाॅर्स के प्रस्ताव में बताया गया की पहली गर्भावस्था के समय एक महिला की आयु कम से कम 21 वर्ष होनी चाहिए। विवाह में देरी से परिवारों, समाज, और बच्चों से जुड़े वित्तीय, सामाजिक और स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके साथ ही, बाल विवाह जैसी कुप्रथाओं की रोकथाम के लिए भी यह कानून ज़रूरी है। लड़कियों की शादी की उम्र को लेकर ये अबतक का तीसरा मुख्य बदलाव है, इससे पहले 1949 में ये 15 वर्ष की गई थी जिसे 1978 में बढ़ाकर 18 वर्ष कर दिया था। यह नया बदलाव सभी शादी से जुड़े कानूनों पर लागू है, चाहे वो भारतीय मुस्लिम शरिआ अधिनियम हो, या भारतीय ईसाई विवाह अधिनियम, पारसी विवाह व तलाक अधिनियम हो या फिर विदेशी विवाह अधिनियम हो। 

 

क्यूँ ज़रूरी है शादी की उम्र में ये नया बदलाव? 

ये नया कानून न केवल महिलाओं के स्वास्थय के लिए ज़रूरी है बल्कि ये कुछ इस तरह के मुद्दों को प्रभावित करेगा - 

 

लड़कियों की पढ़ाई - यह नया कानून लड़कियों की पढ़ाई और नौकरी जैसे ज़रूरी मुद्दों पर प्रभावी रहेगा। लड़कियों की कम उम्र में शादी सबसे ज़्यादा तब ही करवाई जाती है जब उनकी पढ़ाई छुड़वाकर घर बैठा दी जाती है। पिछले 30 वर्षों में लड़कियों की कम उम्र में शादी में गिरवाट आई है क्यूंकि भारत सरकार ने बेटियों की पढ़ाई को लेकर सख़्त कानून लागू किए थे। लेकिन, इसके बावजूद भी, भारत में 30% लड़कियों की शादी 16 -18 की उम्र में ही कर दी जाती है, जो इस नए कानून के ज़रिए बदलने की कोशिश की जाएगी। अब लड़कियाँ आगे पढ़ाई और नौकरी जैसे अवसरों के लिए बढ़ सकेंगी। इसके लिए महिला एवं बाल विकास विभाग हर तरह की मदद मुहैय्या करवाएगा। 

 

मैटरनल मोर्टेलिटी रेट - यह नया कानून लड़कियों के बच्चे के जन्म के दौरान मृत्यु दर को कम करने के लिए प्रभावित होगा, जो कम उम्र में शादी और मातृत्व के कारण होता है। 

 

इन्फेंट मोर्टेलिटी रेट - यह नया कानून, जन्म के दौरान बच्चों की मृत्यु दर को कम करने के लिए प्रभावित होगा, जो कम उम्र की माँ में कमज़ोरी से कारण होता है।

 

सेक्स रेश्यो - लड़कियों को बेहतर शिक्षा और नौकरी के अवसर मिलने से अब कन्या भ्रूण हत्या जैसे अभिशाप कम हो गए हैं। भारत में पहली बार, लिंग अनुपात में सुधार हुआ है, जैसा कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2021 में पाया गया है, जिसमें कहा गया है कि अब भारतीय जनसंख्या में प्रति 1000 पुरुषों पर 1020 महिलाएं हैं।

 

इन सभी मुद्दों के साथ-साथ ये नया कानून लड़कियों की शादी से पहले मनोवैज्ञानिक परिपक्वता प्राप्त करने, बेहतर प्रजनन अधिकारों का प्रयोग करने, परिवार नियोजन और गर्भ निरोधकों के उपयोग जैसे ज़रूरी मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता है।



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