अगर आपकी ज़िन्दगी में कोई कठिन महिला आ जाए, तो वो बंदरगाह पर तूफ़ान की जैसी होती हैं, और अगर सरल महिला आ जाए तो ज़िन्दगी के तूफ़ान में बंदरगाह की जैसी होती है - आशुतोष राणा
आशुतोष राणा और रेणुका शहाणे की शादी को पूरे 20 वर्ष हो चुके हैं, और आज भी दोनों का प्रेम वैसा ही बना हुआ है जैसे बीस साल पहले शुरू हुआ था। आशुतोष जी और रेणुका जी, दोनों के करियर (भूमिका) विकल्पों से जुड़े फैसलों से लेकर निजी ज़िन्दगी जीने के तरीके आपस में मेल नहीं खाते, लेकिन फिर भी दोनों की समझ उनके रिश्ते को मज़बूती से जोड़े रखती है। इनके रिश्ते का सबसे ख़ास रहस्य यह है की ये दोनों ही एक दूसरे को बदलने की कोशिश ना करते हुए अपनी-अपनी ज़िन्दगी का आनंद लेते है। हर कोई दोनों के अलग-अलग व्यक्तित्व को देखकर एक बार यह ज़रूर सोचता है की, रेणुका जी, जो एक सुशील महिला वाले किरदार निभाती आई है वो कैसे ख़तरनाक़ विलैन की भूमिकाओं में नज़र आने वाले आशुतोष राणा के प्यार में पड़ गई? दरअसल, पर्दे पर चाहे जैसे नज़र आते हो, असल ज़िन्दगी में आशुतोष जी एक कवि की भूमिका में नज़र आते है, और उन्होंने रेणुका जी को पहली बार मिलने के 3 महीने बाद अपनी एक कविता से प्यार का इज़हार किया था। जिसके बाद रेणुका जी (जिन्हे कविताओं में कम दिलचस्पी है) ने भी यह स्वीकार किया की उन्हें आशुतोष जी से प्रेम हो गया है। आशुतोष राणा जी की पूरी कविता प्रिय लिखकर नीचे लिख दूँ.. यहाँ दी गई है -
प्रिय! लिखकर
नीचे लिख दूँ नाम तुम्हारा
कुछ जगह बीच में छोड़
नीचे लिख दूँ सदा तुम्हारा..
और लिखा बीच में क्या? ये तुमको पढ़ना है
कागज़ पर मन की भाषा का अर्थ समझना है
और जो भी अर्थ निकालोगी तुम, वो मुझको स्वीकार..
मौन अधर..कोरा कागज़..अर्थ सभी का प्यार है..
आशुतोष राणा जी ने रेणुका जी से प्रेम स्वीकार करवाने के लिए इस कविता को लिख कर उन्हें फ़ोन पर ही व्यक्त किया था।