पेंशन योजनाओं की कुशलता, अगर सीख ली जाए, तो 60 साल से पहले ही लक्ष्य को पूरा करने में मदद कर सकती है।

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आजकल लोग 45 या 55 की आयु में ही संयम करना चाहते हैं। वे अपने काम को छोड़कर दुनिया भर की यात्रा करना और अपने सपनों को पूरा करना चाहते हैं। हालांकि, यह स्वतंत्रता एक मूल्य के साथ आती है।

retirement plan

रिटायरमेंट के शब्द को सुनते ही सामान्यत: मन में पहले एक बुजुर्ग व्यक्ति की तस्वीर आती है। हालांकि यह सच्चाई है कि रिटायरमेंट के लिए बुढ़ा होना आवश्यक नहीं है। आजकल लोग 45 या 55 की आयु में ही संयम करने और दुनिया भर की यात्रा करके, अपने सपनों को पूरा करने का इरादा रखते हैं। इसके बावजूद, यह स्वतंत्रता एक कीमत के साथ आती है।

आसल में, नौकरी छोडने का निर्णय वही ले सकते हैं, जब घरवालों के आर्थिक आवश्यकताओं का खर्च पूरे करने के लिए पर्याप्त धन इकट्ठा हो जाए। इसका मतलब है कि बच्चों की शिक्षा की व्यय, परिवार के सभी सदस्यों का बीमा, मेडिकल बीमा आदि के खर्चों को शामिल करना होगा। इसके साथ ही, रिटायरमेंट के बाद यात्रा के खर्च, शौक की पढ़ाई की फीस, दैनिक आवश्यकताओं के लिए व्यय आदि का भी सामावेश करना होगा।

इन सभी व्ययों को जोड़ने के बाद, आपको अनुमान हो जाएगा कि आरामदायक जीवन के लिए पेंशन के लिए कितने रुपये की आवश्यकता हो सकती है। और इस रकम को इकट्ठा करने के लिए कितना समय हो सकता है। पेंशन योजना कैलकुलेटर और मेडिकेयर टूल का उपयोग करके आप इसे समझ सकते हैं। ये उपकरण आपको आसानी से ऑनलाइन उपलब्ध हो सकते हैं।

रिटायरमेंट प्लानिंग के दौरान क्या-क्या बातों का ध्यान रखना चाहिए, इसे समझने के लिए दी लल्लनटॉप ने सक्षम वेल्थ लिमिटेड के डायरेक्टर समीर रस्तोगी से बात की। सक्षम वेल्थ लिमिटेड व्यक्तियों को व्यक्तिगत वेल्थ सेवाएं प्रदान करती है।

महंगाई पर चर्चा

समीर रस्तोगी ने बताया कि रिटायरमेंट की प्लानिंग करते समय, सबसे अधिक महंगाई की परवाह करनी चाहिए। आपकी आय बंद हो जाएगी और आपको पूरी तरह बचतों पर निर्भर होना पड़ेगा। अगर निवेश, महंगाई की गति से अधिक बढ़ने में असफल रहे, तो आपकी बचतों का कोई महत्व नहीं होगा। आपके रिटायरमेंट फंड का उपयोग उम्मीद से तेजी से करने के लिए भी हो सकता है।

आयु के हिसाब से योजना बनाएं

लाइफ एक्सपेक्टेंसी, अर्थात् कितने साल तक कोई व्यक्ति जिन्दा रहेगा, एक महत्वपूर्ण मामूला है। समीर रस्तोगी ने बताया कि बड़े शहरों में जैसे - दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु में लोग अक्सर 85 वर्ष तक जी रहे हैं। अगर आप 60 वर्ष की आयु में रिटायर हो रहे हैं, तो आपको यह सुनिश्चित करने के लिए रिटायरमेंट फंड बनाना होगा कि आपका धन 25 वर्षों तक काम आ सके। आप इसके लिए अपने निवेश योजना को तैयार कर सकते हैं, जिससे 25 साल में आपका निवेश फंड जमा हो जाए। इसके लिए आप फंड प्रबंधकों की मदद भी ले सकते हैं।

आपके स्वास्थ्य खर्च के लिए तैयार रहें

आपकी उम्र के साथ-साथ बीमारियों के इलाज का खर्च भी बढ़ जाता है। इसके साथ ही, आम महंगाई के साथ-साथ मेडिकल महंगाई भी बढ़ती जा रही है। बाजार में, खासकर 14-15 फीसदी तक की दर से मेडिक

मान लीजिए, आप सोच रहे हैं कि मैंने पहले ही मेडिकल इंश्योरेंस ले लिया है, इसलिए मैं बिना चिंता के रह सकता हूं, तो आप गलत हैं। यह सच है कि 40-50 की उम्र में मेडिकल कवर काफी प्रमुख होता है, लेकिन 80 की उम्र में यह कवर कम हो सकता है। इस समय, कोई बीमा कंपनी आपको बीमा नहीं करेगी। इसलिए आपको रिटायरमेंट से पहले सुनिश्चित करना चाहिए कि आपके पास मेडिकल खर्च के लिए पर्याप्त निधि हो।

मान लेते हैं कि किसी व्यक्ति ने रिटायरमेंट के लिए एक करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा है। उसे इस रकम का 25 फीसदी अलग से मेडिकल खर्च के लिए रखना चाहिए। यानी अगर 1 करोड़ रुपये का लक्ष्य है, तो आपको एक करोड़ 25 लाख रुपये की तरह मेडिकल खर्च के लिए रखना चाहिए। एक करोड़ रुपये दैनिक खर्चों के लिए और 25 लाख रुपये किसी मेडिकल आपातकाल के लिए हो सकते हैं।

जितनी जल्दी निवेश, उतना ज्यादा फायदा

समीर रस्तोगी के अनुसार, लोग रिटायरमेंट की योजना 40 साल की उम्र के बाद ही गंभीरता से बनाते हैं। भारत में लोग अक्सर अपने बच्चों की पढ़ाई, शादी को प्राथमिकता देते हैं और इसका अर्थ है कि वे खुद के लिए ध्यान नहीं देते। यह सही है, लेकिन साथ ही, थोड़ा-थोड़ा खुद के लिए भी बचाने का प्रयास करना चाहिए। ऐसा नहीं कि रिटायरमेंट के बाद खर्चे निकालना मुश

अब हमें यह देखने का समय है कि कैसे हम गोल हासिल कर सकते हैं?

अब हमारी प्राथमिकता यह होती है कि हम यह देखें कि इस लक्ष्य को कैसे प्राप्त किया जा सकता है। अब जांचने की बारी है कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए हमें क्या करना चाहिए। इसके लिए, हमें अपनी कमाई के स्रोत की सूची तैयार करनी होगी। सैलरी से कितना बचत किया जा सकता है, घर में मौजूद सोने या गहनों की मूल्य, अगर आपका घर किराए पर है तो किराया, ऐसी सभी चीजों को जोड़ लें। यदि आपके पास दो-तीन जगह परिपत्रक हैं तो उनकी मूल्यांकन भी जोड़ लें। इसमें से कुछ आइटमें आपने अपने बच्चों के लिए रखी होती हैं, उनकी मूल्यांकन को अलग रखें। अब यह देखें कि आपका लक्ष्य हासिल करने के लिए शेष राशि कितनी है। इसको समझने के लिए हम एक उदाहरण पर गौर करें।

वर्तमान में आपकी आयु 35 वर्ष है और आपने निर्धारित किया है कि 55 वर्ष की उम्र में रिटायर होना है। इसका अर्थ है कि आपने अगले 30 वर्षों में 10 करोड़ रुपये इकट्ठा करने का लक्ष्य रखा है।

सैलरी= 24 लाख रुपये प्रतिवर्ष।

सैलरी से आय= 1 लाख रुपये प्रतिमाह X 12= 12 लाख रुपये प्रतिवर्ष

30 साल तक पीएफ, पेंशन फंड में जमा= 50 लाख रुपये

घर में रखे सोने, जूलरी की मूल्य= 50 लाख रुपये

2 अतिरिक्त प्रॉपर्टी की मूल्य= 2 करोड़ रुपये

बच्चों के लिए घर की मूल्य= 1 करोड़ रुपये।

नियत आय= 2.5 करोड़ - 1 करोड़ रुपये= डेढ़ करोड़ रुपये (प्रॉपर्टी + सोने जूलरी - बच्चों के लिए प्रॉपर्टी की मूल्य) + 50 लाख रुपये (पीएफ और पेंशन का पैसा)

10 करोड़ के लक्ष्य में से डेढ़ करोड़ रुपये प्रायः निवेश किए गए हैं। यह मानना उचित होगा कि 30 साल में 8 करोड़ रुपये बनाने की आवश्यकता है। यह पैसा मासिक सैलरी से बचाए गए सेविंग्स को निवेश करके प्राप्त होगा। यह दृष्टिकोण से देखें तो, प्रत्येक महीने 1 लाख रुपये की बचत को इस प्रकार निवेश करना होगा कि 30 सालों में आपकी निवेश राशि 8 करोड़ रुपये तक पहुंच जाए। इसके लिए आप फंड मैनेजर्स की सलाह भी ले सकते हैं। आशा है कि इस लेख से आपको रिटायरमेंट फंड की योजना बनाने में सहायता मिलेगी।



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