उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री डॉक्टर दिनेश शर्मा ने कहा कि मुगल शासक हमारे पूर्वज नहीं,बल्कि लुटेरे थे और अब यही इतिहास लिखा जायेगा। राज्य सरकार इसके लिये पाठ्यक्रम में बदलवा भी करेगी।
दिनेश शर्मा जी ने कहा, “बाबर, औरंगज़ेब लुटेरे और शाहजहाँ हाथ काटने वाले थे।“
सही बात कही है, लेकिन अशोक ने भी कलिंग युद्ध में एक लाख लोगों का वद्ध किया था तो क्या इतिहास की किताबों में उसे अशोक महान की जगह ‘क्रूर अशोक’ लिखा जायेगा, कि ये सिर्फ मुस्लिम शासकों पर लागू होता है। लिखना है तो फिर गोडसे से लेकर वीर सावरकर के बारे में भी सच लिखिये कि वीर सावरकर ने किस तरह अंग्रेज़ों से माफ़ी मांगी थी और कहा था कि भारत में हिन्दू और मुस्लिम दो राष्ट्र हैं। द्वि-राष्ट्र सिद्धान्त सवारकर का ही दिया है।
इतिहास में ये भी लिखा जाना चाहिये कि हिन्दू महासभा ने और वीर सावरकर ने 'अंग्रेज़ों भारत छोड़ो' आन्दोलन का विरोध किया था। जिनको हमारे प्रधानमंत्री स्वतंत्रता सेनानी बताते थकते नहीं हैं।
दिनेश शर्मा जी ने ये भी कहा कि अकबर ने अच्छे काम किये होंगे तो वो इतिहास के पन्नों में रहेंगे लेकिन ये इतिहासकार तय करेंगे कि अकबर को जगह कहां मिलेगी।
लेकिन दिनेश शर्मा जी ने ये नहीं बताया कि ये इतिहासकार कौन होंगे वो इतिहासकार होंगे जो ताजमहल को तेजोमहालय बातते हैं या कुतुब मीनार को बिष्णु स्तम्भ बताते हैं या फिर जो हेडगेवार ने भारतीय इतिहास लिखा हैं। वही अब पाठ्यक्रम में पढ़ाया जायेगा क्या?
आगे दिनेश शर्मा जी ने कहा कि बहादुर शाह ज़फर एक अच्छे शासक थे। यही वहज थी कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी म्यांमार में उनकी मज़ार पर गये थे। जिस संस्कृति में पुत्र अपने पिता की हत्या कर देता हो, ताजमहल बनाने वालों के हाथ काट दिये जाएं, वह हमारी संस्कृति नहीं।
लेकिन महाभारत में भी युद्ध तो भाईयों के बीच ही हुआ था और भाई ने भाई को ही मारा था। तो ये भी हमारी संस्कृति का हिस्सा नहीं होना चाहिये।
अब सरकार उनकी, पाठ्यक्रम उनका है बच्चों को अधूरा इतिहास पढ़ाया जायेगा। जैसा कि योगी जी एक बार सार्वजनिक मंच पर बोले भी थे कि, “राष्ट्रपिता महात्मा गांधी नहीं बल्कि शंकर भगवान को कहना चाहिये” और तो और नरेन्द्र मोदी के बारे में गुजरात सरकार ने अपने पाठ्यक्रम में एक पुस्तक भी छापी है। जिसमें उनके बचपन के बारे में लिखा है कि वो किस तरह से मगरमच्छ को मारकर गेंद लेकर नदी से आये थे।