म्यांमार में रोहिंग्या मुस्लिमों पर अत्याचार हो रहा है, इसमें कोई दो राय नहीं है और इसको रोकने के लिये अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कुछ होना भी चाहिये।
लेकिन मुस्लिमों की एक बात बहुत अजीब है, जिसको लेकर अन्य धर्मों के लोगों को गुस्सा आता है। जब म्यांमार में रोहिंग्या मुस्लिमों को मारा जा रहा था. हर तरफ़ इसकी निन्दा हो रही थी और भारत हमेशा से ही फ़िलीस्तीन के मामले में फ़िलीस्तीन का ही साथ दिया है। बीजेपी सरकार ने जाकर इज़रायल से हाथ मिलाया लेकिन इससे पहले तक ऐसा नहीं था।
लेकिन एक ऐसी घटना लखनऊ शहर में हुयी जिसको लेकर मुस्लिमों के प्रति और गुस्सा भर गया। जब रोहिंग्या मुस्लिमों को वहां मारा जा रहा था तो लखनऊ में मुस्लिम सड़क पर आ गये और उन्होंने महावीर जैन पार्क जो की डालीगंज में हैं जिसको हाथी पार्क भी कहते हैं वहां लगी महावीर की मूर्ति को तोड़ दिया क्योंकि उनको महावीर जैन और बुद्ध में अन्तर पता नहीं था।
तोड़ना चाहते थे वे बुद्ध की मूर्ति लेकिन तोड़ दी महावीर जैन की मूर्ति. कारण क्या था, मूर्ति तोड़ने का? म्यांमार में हो रहा मुस्लिमों पर अत्याचार। लेकिन उसका भारत से क्या सम्बन्ध यहां के बुद्ध धर्म के मानने वालों की क्या ग़लती और इसमें बुद्ध की क्या ग़लती जो आप उनकी मूर्ति तोड़ने को चले आये। यही कारण है कि, लोग मुस्लिमों से चिढ़ते हैं और कहते हैं कि ये अपने देश के नहीं हैं। क्योंकि दुनियाभर में अगर कहीं भी मुस्लिमों पर कुछ भी होगा तब ये झण्डा उठाकर निकलते हैं। लेकिन जब मुस्लिम अत्याचार करते हैं, बम फोड़ते हैं, लोगों को मारते हैं तब ये क्यों नहीं निकलते।
अगर ऐसे ही हिन्दू करने लगें कि पाकिस्तान में किसी हिन्दू को मारा गया या वहां कोई मन्दिर तोड़ा गया तो वो भारत में सारी मस्जिद गिरा दें। उससे क्या होगा क्या ये सही है? पाकिस्तान के मुस्लिमों का भारत से क्या सम्बन्ध. मन्दिर वहां गिरा, हिन्दू वहां मारा गया। लेकिन जब आर एस एस कहता है, “कि बाबर और अकबर ने हमारे मन्दिर तोड़े इसीलिये हमने बाबरी मस्जिद गिरायी” तब सारे मुस्लिम छाती पीटने लगते हैं। जितना विरोध बाबरी गिरने के बाद बीजेपी और आर एस एस ने झेला था उतना विरोध कहीं नहीं हुआ होगा। लेकिन ये कब तक होता लोग भी देखते रहते हैं कि, जब फ़िसीस्तीन के लिये झण्डा लेकर निकलते हैं लेकिन जब मुम्बई हमला होता है तो नहीं निकलते। लोग समझ जाते हैं कि, आपको सिर्फ मुस्लिमों से प्यार है और किसी से कोई मतलब नहीं।
और ऐसा सिर्फ भारत के मुस्लिम नहीं करते हैं जब भारत में बाबरी मस्जिद गिरी तो 1992 में बांग्लादेश की कट्टरपंथियों ने इसकी आड़ में वहां हिन्दूओं को किस तरह मारा था। हिन्दू औरतों का बलात्कार किया था और उनकी ज़मीनें हड़प ली थीं और वहां के मुस्लिम वामपंथियों ने भी कट्टरपंथियों का ही समर्थन किया था। सैकड़ों साल पुराने हिन्दू मन्दिरों को आग लगा दी गयी थी। हिन्दूओं की पूरी बस्तियों को हिन्दुओं समेत जला दिया गया था। उस पर तसलीमा नसरीन ने 'लज्जा' नामक उपन्यास भी लिखा है।
और यही पाकिस्तान में भी हुआ था, बाबरी मस्जिद गिरने के बाद पाकिस्तान में 300 मन्दिर तोड़े गये थे और अरब देशों ने बाबरी मस्जिद गिरने पर भारत का विरोध किया था।
मुस्लिमों को ये समझना चाहिये कि सिलेक्टिव विरोध नहीं चलेगा। दुनिया के 65 मुल्क मुस्लिम हैं कहीं कुछ न कुछ होगा ही फिर वो चाहे अमेरिका कुछ करे या मुस्लिम जहां अल्पसंख्यक हैं वहां पर उन पर अत्याचार हो। इसको लेकर आप अपने देश में उपद्रव मत मचाइये। विरोध ही करना है तो उसी तरह करिये जैसे आई एस आई का विरोध करा गया था दुनिया भर के मुस्लिमों द्वारा।