माँ: अनमोल संगीत की मिस्ट्री :
माँ एक शब्द है जो एक मुस्कान और सुकून के साथ प्यारी तस्वीर याद दिलाती है। क्या यही माँ का अर्थ है? माँ होनी भी चाहिए ऐसी, जो अंदर से नरम और बाहर से भी अच्छी हो, जैसे सूरत वैसी सीरत।
शायद यही एक परी है जो हमेशा हमारे साथ होती है, सोने से पहले और सुबह उठने के बाद तक, जो कभी आंखों से सपनों की तरह ओझल नहीं होती।
हमारी हर ज़रूरत का ख्याल रखती है और हर बात को बिना कहे ही समझ जाती है, भूख लगने से पहले ही खाने के निवाले खिलाती है और जाने कैसे दिल की बात भी पढ़ लेती है।
लेकिन शायद कुछ लोग इतनी खुश किस्मत नहीं होते जिन्हें इतनी सुखद जिंदगी मिलती है। माँ या तो कहानियों की तरह लगती है या फिर लगता है ऊपरवाले ने कोई गलती की है सही सामान भेजते समय।
हम जितना भी मान लेने की कोशिश करें, सच तो यही है कि औरत ही वह प्रजाति है जो हमारे जीवन में सुकून ला सकती है।
वरना कितनी भी फोर्स लगा लो, अगर चप्पल खानी है तो कहीं से भी उड़ते हुए आएगी सर पर, झाड़ू, डंडा, थप्पड़ कुछ नहीं बच पाओगे।
अगर उस प्राणी ने सोच लिया, तो फिर तुम्हें कोई नहीं बचा सकता। फिर तो अगर हिम्मत है तो खुश रहकर दिखाओ, माँ के डंडे/झाड़ू, सास के ताने, जहर भरी निगाहें, कभी न स्माइल नागिन निगाहें, कभी न खुश होने वाली आदतें, बीवी के दिन-रात चलती हुकूमत और झगड़े... .और जाने कितने अत्याचार जो लिखे नहीं जा सकते, बस घाव दिखाए जा सकते हैं। और जो यहां इतनी धमाकेदार प्रदर्शन की बात हो रही है, वह यह सब कुछ कर सकती है बिना कुछ कहे कैसे मन की बात समझ लेती है...
बुरा मत मानना, लेकिन मैने ऐसी माँ देखी है जो देखने में बिलकुल मीनाकुमारी जैसी लगती है, लेकिन बात करने में ललिता पवार, कानाफूसी ऐसी जिससे कभी पेट ही ना भरे और गुस्से में तो मत ही पूछो, बिलकुल एटम बॉम्ब जैसी जो सब कुछ नष्ट कर दे!
तो अपनी-अपनी किस्मत है, दोस्तों, किसे जीवन में यहीं नरक भोगना लिखा है, तो वह चुपचाप सहे या चार को अपनी बता के दिल हल्का कर ले, जैसे कि मै!
तो भाई हम तो नहीं मानते "परी" नाम की कोई चीज़ होती है।
किसके जीवन में परी आई है या धमाका हुआ है कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं....धन्यवाद!
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