क्या है Twin Tower को गिराने के पीछे की पूरी सच्चाई?

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supertech twin tower

सुपरटेक ट्विन टावर -

नोएडा के सेक्टर 90A में स्थित ये टावर लगभग 40 मंज़िला है जिसमें 900 से अधिक फ्लैट्स है। दोनों टावरों का बिल्ट-अप एरिया करीब 7.5 लाख वर्ग फुट है। लंबा टावर 103 मीटर की ऊंचाई पर है, जबकि छोटा टावर लगभग 97 मीटर लंबा है। इस टावर का निर्माण कार्य 2005 में शुरू हुआ था लेकिन 2009-10 आते आते ये ईमारत विवादों में घिरने लगी।


क्या है विवाद ?

खबर ये है की इस ईमारत के निर्माण में यूपी अपार्टमेंट अधिनियम का उल्लंघन हुआ है। एमराल्ड कोर्ट ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी के रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा पहले एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि निर्माण 2010 के यूपी अपार्टमेंट अधिनियम का उल्लंघन था। यह भी कहा गया था कि इमारतें राष्ट्रीय भवन संहिता का उल्लंघन कर रही थीं। कुछ जानकारों ने ये भी कहा की टावरों के बीच की दूरी 16 मीटर से कम थी।

विवाद का पूरा सच ?

आपको बता दें की ये विवाद तब शुरू हुआ जब इन टावर्स की लम्बाई और इनकी इमारतों को अधिक से अधिक बढ़ा कर प्लान को रिवाइज़ करने की बातें सामने आने लगीं।  जहाँ इन टावर्स के शुरुआती प्लान्स में साल 2006 में इमारतें को 22 मंज़िला होना था वही देखते देखते 2009 तक 24 तक की बनाने की अनुमति मिल चुकी थी। ये स्तिथि यहाँ तक ही रुक जाती तक भी शायद ठीक होतीं लेकिन सुपरटेक को शायद ये रिवाइज्ड प्लान भी रास न आया और 22 से 24 और 24 से 40 मंज़िले तक बनाने की अनुमति का नक्शा भी पास करवा लिया।  
ग़ौर तालाब है की मंज़िलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए एमराल्ड कोर्ट ग्रुप के लोगों को रास नहीं आया और आना भी क्यों था क्योंकि जहाँ ट्विन टावर बनाया जा रहा था वहीँ नक़्शे में ग्रीन पार्क और साथ ही कुछ छोटी इमारतें आनी थी।

फिर क्या हुआ?

फिर क्या था एमराल्ड कोर्ट ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी के बायर्स  ने RWA और बिल्डर्स से इसकी शिकायत की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई तो मामला कोर्ट तक पहुंच गया।  साल  2012 अलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दर्ज हुई और कोर्ट ने जांच का आदेश दिया मगर तब तक ये इमारत 13 मंज़िल ही थी।  जांच रिपोर्ट आते आते और बिल्डर की आना कानि में एक से डेढ़ साल का समय गुज़र गया। बिल्डर्स को नक्शा पेश करने कहा गया मगर न ही बिल्डर और न ही अथॉरिटी की ओर से कोई नक्शा पेश हुआ और 13 मंज़िल की ट्विन टावर 32 मंज़िल की हो चुकी थी।

क्या है कोर्ट का फैसला?

कोर्ट में मामला चलता रहा और साल 2021 में कोर्ट ने बायर्स की याचिका को सही ठहराते हुए टावर्स को गिराने का आदेश दे दिया गया।


आप को बता दें की सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अगस्त में सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट के निवासियों द्वारा इलाहाबाद उच्च न्यायालय में जाने के बाद ट्विन टावरों को गिराने का आदेश दिया था जिसके चलते इस टावर को आज 28 अगस्त दोपहर 2.30 बजे गिराया जाएगा.



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