नए साल पर गाड़ी खरीदने का सही रंग कैसे चुनें: ज्योतिष और महावास्तु टिप्स!

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अपनी कार का सही रंग चयन करें: नैटल चार्ट के अनुसार जानिए शुभ रंग का राज़!

Choosing the Right Color for Your Car: Discover the Auspicious Hues According to Natal Chart and Vastu Tips!

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आज के वास्तु टिप्स: जानिए वास्तु विशेषज्ञ से -

मैं एक वास्तु विशेषज्ञ हूँ और आज मैं आपको अपनी कार का सही रंग चयन से जुड़े कुछ वास्तु टिप्स देना चाहूँगी!

नमस्कार दोस्तों, क्या आप नए साल पर 4 व्हीलर खरीदने जा रहे हैं?

तो आप सोच रहे होंगे कि किस रंग की कार मुझे लेनी चाहिए, कौन सा रंग मेरे लिए लकी होगा? इसके लिए एक बार आप अपना नैटल चार्ट देखें,

उसके 4 वें भाव में जो भी ग्रह बैठा हो, उस रंग की गाड़ी आपके लिए लकी रहेगी, जैसे कि -

  1. मंगल होगा तो लाल,
  2. चंद्रमा होगा तो सफेद,
  3. शनि होगा तो नेवी ब्लू/काला,
  4. बृहस्पति होगा तो पीला या सोने का,
  5. बुध होगा तो हरा,

इन रंगों की गाड़ी की गाड़ी आपके लिए बहुत लकी साबित होगी, मैं महावास्तु एक्सपर्ट ऐसे ही यूजफ़ुल टिप्स आपको देती रहूँगी।

Health is Wealth: Learn How Vastu Tips Can Help Improve Your Well-being!

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वास्तु शास्त्र क्या है?

Health is Wealth: Learn How Vastu Tips Can Help Improve Your Well-being!

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"वास्तु शास्त्र" एक प्राचीन भारतीय वास्तुकला और डिज़ाइन की विज्ञान है जो इमारतें बनाने और स्थानों को प्राकृतिक शक्तियों और ऊर्जाओं के साथ सामंजस्यपूर्ण रूप में व्यवस्थित करने के लिए सिद्धांतों का वर्णन करती है। "वास्तु" शब्द संस्कृत भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है निवास या इमारत।

वास्तु शास्त्र का उद्देश्य एक संतुलित और सकारात्मक वातावरण बनाना है, जो कल्याण, समृद्धि, और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देता है। वास्तु शास्त्र के कुछ मुख्य सिद्धांतों में शामिल हैं:

  • दिशा-निर्देश: इमारतों और कमरों को पूर्वमुखी बनाने का सही तात्पर्य, खासकर उत्तर, के साथ है, जो सकारात्मक ऊर्जा की प्रवाह के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
  • पंचभूत (पंचतत्व): वास्तु में पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, और आकाश जैसे पंचतत्वों का समाहित उपयोग शांति बनाए रखने के लिए किया जाता है।
  • ऊर्जा प्रवाह (वास्तु पुरुष मंडल): वास्तु पुरुष मंडल की धारणा में एक कॉस्मिक व्यक्ति होता है, और इमारत का खाका इस पर रखा जाता है ताकि सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह हो सके।
  • क्षेत्रीय विभाजन: वास्तु विभिन्न क्षेत्रों या इमारत के अंदर विभिन्न उद्देश्यों के लिए विशिष्ट रूप से संबंधित होने की सिफारिश करती है। उदाहरण के लिए, उत्तरपूर्व धन से जुड़ा होता है, और रसोई आमतौर पर दक्षिणपूर्व में होनी चाहिए।
  • निर्माण सामग्री: निर्माण के लिए उपयुक्त सामग्री का उपयोग ऊर्जा के प्रवाह और निवासियों की समग्र कल्याण के दृष्टिकोण से किया जाता है।
  • प्रवेश और निकास: मुख्य प्रवेश को महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह ऊर्जा इमारत में प्रवेश करती है। उचित स्थिति में दरवाजे और खिड़कियाँ सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को सुनिश्चित करने में मदद करती हैं।
  • रंग: वास्तु शास्त्र विभिन्न भागों में विशिष्ट रंगों का उपयोग सुझाव देता है ताकि यहाँ की ऊर्जा को बढ़ावा दिया जा सके और एक समर्थ वातावरण बना रहे।

यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि वास्तु शास्त्र, भारत में उन्नत सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व के साथ है, लेकिन इसके सिद्धांत अध्यात्मिक और भौतिक दृष्टिकोण से व्यक्ति के अनुसार बदल सकते हैं। आधुनिक आर्किटेक्चर और शहरी योजना शास्त्र अक्सर वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों का पूरा नहीं करते हैं, लेकिन कुछ व्यक्तिगत और सांस्कृतिक कारणों के लिए लोग इन सिद्धांतों को अपनी डिज़ाइन में शामिल करना चाहते हैं।

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