झींगुर सा लड़का और टीम इंडिया में बैठे प्रयोगधर्मी वैज्ञानिकों के कांड

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हार्दिक और राहुल जी, आपके समक्ष हाथ जोड़कर निवेदन है कि आप इस काम को बंद कर दें।

team india

Image Credit: स्क्रीनग्रैब

सचिन, क्या है सचिन में. लप्पू सा सचिन है, मुंह में से बोलना वापे आवे ना. बोलता वो है ना, झींगुर सा लड़का.

ये वाक्य आजकल बहुत चर्चित हो रहे हैं, और इसके साथ ही उन भक्तों का ग़ुस्सा भी प्रतिध्वनित हो रहा है। आपके मन में शायद यह प्रश्न उठ रहा हो कि इन दोनों बातों के बीच क्या अंतर है। आप ठीक सोच रहे हैं, आज हम बिना किसी शंका के और बिना किसी विचार-विमर्श के इस विषय पर एक प्रकार की व्यक्तिगत राय देंगे।

ऐसा हो रहा है क्योंकि ब्रो, यह वही चीज़ है जो वर्तमान में भारतीय क्रिकेट में घटित हो रही है। और जब ऐसा हो रहा है, तो हमारी EMI भी इसी तरह की हो रही है, इसलिए हम भी वही कर रहे हैं। यह प्रारंभ वैज्ञानिकों से होता है। एक समय था और शायद आज भी है, जब वैज्ञानिक लोग प्रयोगशाला में काम करके मानवता के हित में योगदान देते थे।

हां, यह सच है कि इन्हीं वैज्ञानिकों ने AK-47 और एटम बम जैसी वस्तुएं बनाई, लेकिन अधिकांश प्रयोगों से मानवता को ही फायदा हुआ है। लेकिन वैज्ञानिक राहुल द्रविड़, और छोटे वैज्ञानिक रोहित शर्मा, हार्दिक पंड्या आदि के प्रयोगों से कुछ अच्छा हो रहा है, तो कृपया इसका परिणाम बताएं, आपके विचार सुनने में बड़ी रुचि है। आप उन्हें विस्तार से समझाने की कोशिश करेंगे, और यही करने से आप अक्षर पटेल की जगह नंबर चार पर पठाने का फैसला कर रहे हैं। इस वर्ष वर्ल्ड कप के दौरान, आप बापू के प्रति पूरी श्रद्धांजलि देते हुए कह रहे हैं, और रविंद्र जडेजा के फिट रहने के बावजूद, बापू को खेलने का मौका नहीं मिलेगा।

टीम इंडिया के प्रयोग

और बस इसी मामले में, किसी माइनफ़ील्ड में आपने उन्हें उतार भी दिया है. फिर भी वे नंबर चार पर बैटिंग नहीं करेंगे, ठीक है ना भाई? और अगर वे आपके नंबर चार बल्लेबाज हैं, तो सब ठीक है। वे आगे के वर्ल्ड कप की तैयारी कर रहे हैं, क्योंकि यहां अभी कुछ दिखाई नहीं दे रहा है। यही नहीं, अब और सुनिए।

वर्ल्ड कप से पहले, आपके पास अब तक आधा दर्जन मैच शेष हैं। और उन मैचों से पहले आप अपने ओपनर और नंबर तीन बल्लेबाज को आराम दे रहे हैं। किस बात का आराम, भाई? उन्हें T20I सीरीज़ नहीं खेलनी थी, उन्होंने आयरलैंड जाने नहीं थे, और उन्होंने टेस्ट मैचों में अधिक फील्डिंग नहीं की थी। दोनों ही टेस्ट मैच नियंत्रित समय से पहले ही समाप्त हो गए थे, और फिर इस वनडे सीरीज़ के बाद तो आराम ही आराम था।

फिर भी, वैज्ञानिकों ने प्रयोग के नाम पर उन्हें बिठा दिया। ठीक है, रोहित, आपके कप्तान हैं, स्वागत है आपके लिए स्पेशल ट्रीटमेंट मिलना चाहिए। लेकिन विराट कोहली की पैटर्न क्यों तोड़ रहे हैं, सर? उन्होंने पहले टेस्ट मैच में 76 रन बनाए, फिर दूसरे मैच की पहली पारी में 121 रन बनाए। तब आपने क्या किया, उन्हें दूसरी पारी में बैटिंग की अवसर नहीं दी। और अब इनिंग्स कैरेबियन में उनकी आखिरी इनिंग्स आ रही है।

कप्तान हार्दिक पंड्या

कभी-कभी सूर्या फ़ील्ड पर उतरते हैं, फिर कभी सैमसन को मौका मिलता है, और कभी रुतुराज को उतार दिया जाता है। क्या यह क्रिकेट टीम है या संगीतमय कुर्सी का खेल? छोटे वैज्ञानिक, जब उनकी मन मर्ज़ी होती है, तो वे गेंदबाज़ी या बैटिंग करते हैं। भाई, यह नोएडा के कॉर्पोरेट टूर्नामेंट नहीं है कि कप्तान जी मन करे तब बैटिंग करें और मन करे तो बोलिंग करें।

ठीक है, अच्छा है, कप्तान साहब के पास दोनों में कुछ तो है - बैटिंग और बोलिंग की क्षमताएँ। लेकिन, छोटे वैज्ञानिक जी, जब एक गेंदबाज़ अच्छे से गेंद फेंकने लगे, उसे जाने दें या किसी और को बोलिंग करने के लिए बुलाएं - यह ठीक प्रयोग नहीं है। ये प्रयोग हैं जिनमें दोनों तरह से जलने का खतरा होता है।

और यह धीरे-धीरे बढ़ रहा है। फिर भी आप शांतिपूर्वक आते हैं, गहरी दार्शनिक बातें कहते हैं, और फिर चले जाते हैं। आपके पास पराजय को स्वीकार करने की अद्भुत इच्छा है, और आप अनूठे होने के लिए हार को गले लगा रहे हैं। आपका हृदय कांपन रहा है कि आप धोनी बनना चाहते हैं, और आप उस मोह में बसे हुए हैं। माही आपके मननुसार बैटिंग कर रहे थे, तो परिणाम पहले ही तय था, कल्याण।

उन्होंने बैटिंग को निचले क्रम में किया क्योंकि उन्हें पता था कि वहां कोई नहीं है। आपके बैटिंग क्रम का ऊपर की ओर बढ़ रहा होने का दृढ अंश है। वे हमेशा टीम के लिए खेलते थे, जबकि आप उस कॉर्पोरेट टूर्नामेंट के कैप्टन की तरह अपनी मनमानी में व्यस्त हो रहे हैं। और इसमें आपको मानवता के सबसे बड़े वैज्ञानिक राहुल जी द्रविड़ का पूरा समर्थन मिल रहा है, जो सौरव गांगुली के निकटतम मित्रों में से एक हैं और ग्रेग चैपल के प्रिय हैं।

लेकिन अब, आपसे बिना किसी सिर-पैर के मानवीय याचना करता हूँ कि इसे बंद कर दीजिए। यह अब और बर्दाश्त नहीं हो रहा है। आप सभी अपने काम पर ध्यान केंद्रित करें, क्योंकि हमने प्रयोगों की जिम्मेदारियों को इसरो के वैज्ञानिकों को सौंप दिया है। और उनके प्रयोगों से हमें अपेक्षित सफलता मिल रही है।

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