ताज्जुब होता है ये देखकर कि इतने मनोवैज्ञानिक बैठे हैं भारत मे और किसी की इतनी हिम्मत नहीं पड़ती है कि आगे आगे बोल दे कि "अर्नब" का इलाज मैं करूँगा.. बिना किसी जांच पड़ताल किये कोई भी छोटे से छोटा मनोवैज्ञानिक ये बता सकता है कि "अर्नब" कितना ज़्यादा बीमार है.. दूसरे किसी देश मे ये होता तो अब तक अस्पताल में होता
अर्नब गोस्वामी “HPD” नामक मनोविकार से पीड़ित हैं.. जिसे अंग्रेजी में “Histrionic Personality Disorder” कहते हैं.. इसके लक्षण आप अगर चाहें तो गूगल पर सर्च कर सकते हैं.. ये मनोविकार चिंता, दबाव या बचपन में घटित किसी आघात की वजह से होता है.. इसका मरीज़ अपनी तरफ़ लोगों का बहुत ज़्यादा “अटेंशन” या “ध्यान” आकर्षित करने की कोशिश करता है.. इसके लिए वो किसी भी हद तक जा सकता है.. तरह तरह की भाव भंगिमाएं बनाता है और जोर जोर और नाटकीय तरीक़े से बात करने की कोशिश करता है.. ये मरीज़ बहुत जल्दी “उतावला” हो जाता है इसकी भावनाओं में बड़ी जल्दी जल्दी उतार चढ़ाव आता है
अर्नब का चैनल देखिये आप ध्यान से.. कितने बड़े बड़े और मोटे मोटे शब्दों में न्यूज़ लिखी होती है.. इतने बड़े बड़े फॉन्ट (अक्षर) आपने किसी और चैनल पर देखे हैं? ये अर्नब की ख़ुद की पसंद है जिसके हिसाब से उसने अपने चैनल के लेआउट को डिजाईन करवाया है.. ये बताता है कि उसको “अटेंशन” पाने की कितनी ज़्यादा “चाह” है.. वो चाहता है कि सिर्फ उसी की बात सुनी जाए
इस बिमारी से जुड़ी एक बहुत दिलचस्प कहानी है जो मैं आपको सुनाना चाहता हूँ:
एक गाँव में एक औरत थी, जिसने काफ़ी दिनों तक पैसा इकठ्ठा करने के बाद अपने लिए कुछ गहने बनवाये.. गहनों में कुछ कंगन और “पहुंची” थी.. “पहुंची” वो गहना होता है जिसे बाँहों पर पहना जाता है.. औरत अपने वो गहने पहन कर कई समारोहों में गयी, मगर किसी भी औरत ने उस से उन गहनों के बारे में पूछा नहीं.. किसी ने भी उन गहनों पर ध्यान नहीं दिया और उसे कोई अटेंशन नहीं दी.. इस बात को लेकर वो औरत बहुत ज़्यादा परेशान हो गयी और “अवसाद” में चली गयी.. अंत में परेशान होकर एक रत उसने अपने ही घर में आग लगा दी
आग लगने पर सारा गाँव इकठ्ठा हो गया.. अब वो औरत रो रो कर, हाथ और बाहें हिला हिला कर, लोगों से कहने लगी “अरे वहां पानी डालो, मेरा बछड़ा जल जाएगा”,, “अरे कोई वहां पानी डालो, मेरी मुर्गियां वहां जल जायेंगी”.. ”अरे कोई उस कमरे में पानी डालो.. मेरी बूढी माँ वहां जल जायेगी”.. वो बस लोगों को हाथ हिला हिला कर यही बता रही थी कि पानी कहाँ डालना है.. और लोग वहां वहां पानी डाल रहे थे
तभी भीड़ में से एक औरत उसके पास आई और बोली “अरे बहन.. ये तूने कंगन और पहुंची कब बनवाये.. बड़े सुंदर दिख रहे हैं?”
इतना सुनते ही वो औरत घुटनों के बल ज़मीन पर बैठ गयी.. और जोर जोर से रोते हुवे बोली “अरे बहन.. ये तूने पहले पूछ लिया होता तो आज मुझे अपना घर न जलाना पड़ता”
तो समझिये आप इसे.. अर्नब का दर्द समझिये.. उसकी बीमारी उसकी बहुत “एडवांस” स्टेज में है.. इस तरह के बन्दों को अगर कोई अटेंशन नहीं देता है तो वो किस हद तक जा सकते हैं ये आप सोच भी नहीं सकते.. उनका किसी भी महिला को गाली देना या तरह तरह कि भाव भंगिमाएं बना कर चिल्लाना कोई बड़ी बात नहीं है.. ये उनकी बिमारी के लक्षण हैं
अरनब से मुझे सहानुभूति है.. अगर वो जेल चला जाएगा तो जेलर समेत सारे पुलिस महकमे को बीमार बना देगा.. सरकार ने उसे चैनल खोलने का अधिकार दे दिया है, यही अपने आपमें बहुत बड़ी ग़लती हुई है.. वो अपने साथ साथ जाने कितनों को बीमार बना रहा है दिन रात, आप इस बारे में सोच भी नहीं सकते
बस दुवा कीजिये वो जल्दी ठीक हो जाए.. उसके परिवार के बारे में सोचिये जो उसे झेलते होंगे.. उन सबके प्रति मेरी गहरी सहानुभूति है