किस फैसले के कारण मैतई समुदाय नाराज हो गए और उन्होंने बवाल मचा दिया?
मणिपुर (Manipur) में स्थिति पुनः विकर्षित हो गई है। गुरुवार, 3 अगस्त को हुई हिंसा में 17 व्यक्तियों के घायल होने की रिपोर्ट प्रकाशित हुई है। यह घटना बिष्णुपुर जिले के कांगवई और फौगाकचाओ क्षेत्र से संबंधित है। आवाजाहीन भीड़ द्वारा सुरक्षा बलों पर हमला किया गया और उनके शस्त्रों की लूट की गई। प्रतिक्रिया के रूप में, सुरक्षा बलों ने हवाई आग से जवाब दिया और आंसू गैस के गोले छोड़े।
कैसे यह आरंभ हुआ?
इंडियन एक्सप्रेस के रिपोर्ट के अनुसार, इस हिंसा की मूल कारण उस योजना थी जिसके अंतर्गत 35 कुकी-जोमी लोगों की जातिगत हिंसा में मौत होने की सूचना आई थी, जिसका प्रस्ताव किया गया था कि उन्हें समूहिक रूप से दफनाया जाए। मृतक लोग चुराचांदपुर जिले में स्थित बिष्णुपुर की सीमा से सटे हाओलाई खोपी गांव के निवासी थे। 3 अगस्त की सुबह, मणिपुर हाई कोर्ट के आदेश के बाद, इस योजना को विलंबित कर दिया गया। इसी समय, हजारों स्थानीय लोग सुरक्षा बलों की आवाजाही को रोकने के लिए सड़कों पर उतरे।
Meitei women are protesting against the burial of 35 Kukis who have been killed in the violence in Manipur and their bodies have been kept in mortuary for months! No empathy even for deads. pic.twitter.com/CNCWJfry3o
— Ashok Swain (@ashoswai) August 2, 2023
मैतेई समुदाय की महिलाएं, जो सामूहिक तौर पर शवों के दफनाए जाने के खिलाफ खड़ी हैं, ने बिष्णुपुर में बनाए गए बफर जोन को पार करने का प्रयास किया। उन्होंने मांग की कि उन्हें दफन स्थल तुइबुओंग तक जाने की अनुमति दी जाए।
सुरक्षा बलों पर हमला
आजतक से जुड़े आशुतोष मिश्रा की रिपोर्ट के अनुसार, असम राइफल्स ने उन्हें रोकने की प्रयास किया, लेकिन भीड़ ने पथराव शुरू कर दिया। पहले मिर्च के स्प्रे से भीड़ को रोकने की कोशिश की गई, लेकिन भीड़ शांत नहीं हुई। इसके बाद सुरक्षा बलों ने हवाई फायरिंग की और सेना और RAF जवानों ने आंसू गैस के गोले छोड़े ताकि भीड़ को काबू किया जा सके। इस बीच सशस्त्र बलों और उपद्रवियों के बीच गोलीबारी भी हुई, जिसमें कई सुरक्षाकर्मी घायल हो गए। सूत्रों के मुताबिक, घटना के पीछे अरामबाई तेंगगोल और मैतेई लीपुन का हाथ है, और मणिपुर पुलिस ने बताया कि सुरक्षा बलों ने सात अवैध बंकरों को नष्ट किया है।
समय के साथ, विष्णुपुर के नरनसेना क्षेत्र में भीड़ ने इंडियन रिजर्व बटालियन (IRB) की एक चौकी पर आक्रमण किया। भीड़ ने चौकी के दरवाजे और खिड़कियाँ तोड़कर गोला-बारूद जैसे कई हथियारों को लूट लिया।
उधर, इंफाल पूर्व और इंफाल पश्चिम के जिला मजिस्ट्रेटों ने कर्फ्यू में कुछ ढील की घोषणा की थी. वो अब वापस ले ली गई है. एहतियात के तौर पर पूरी इंफाल घाटी में रात के साथ-साथ दिन का कर्फ्यू भी लगा दिया गया है.
कांग्रेस ने पूछा पीएम मोदी कब बोलेंगे?
वहीं, दिल्ली राजधानी में मणिपुर हिंसा का विषय अब भी विपक्ष द्वारा उठाया जा रहा है। इंडियन एक्सप्रेस के साथ हुई एक बातचीत में, कांग्रेस के नेता शशि थरूर ने मणिपुर हिंसा को लेकर यह प्रश्न उठाया कि देश में इसके प्रति कितनी गंभीरता है और कैसे प्रधानमंत्री इस पर चुप रह सकते हैं। उन्होंने उदाहरण दिए कि 2002 में गुजरात दंगों के समय तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी एक स्थितिकारी बयान दिया था, और वैसे ही कई अन्य उदाहरण हैं। वे आगे बोले, "हम एक उचित मांग कर रहे हैं।"
Read Also: मणिपुर में 35 शवों को एक साथ दफनाने की तैयारी किसे है? क्या सभी तरफ टेंशन, हलचल और अशांति बढ़ेगी?