रवीश कुमार (NDTV) को दिन रात धमकियाँ मिल रही हैं.. उन्हें खूब ट्रोल किया जा रहा है और जान से मारने तक की धमकी दी जा रही है.. उनका नंबर उन्हीं के धर्म के धार्मिक/राजनैतिक संगठनों ने सार्वजनिक कर के उन्हें धमकाने और मारने का बंदोबस्त किया है.. रवीश आजकल लगभग रोज़ अपनी फेसबुक पोस्ट और ब्लॉग पर लिख रहे हैं इस बारे में.. मगर सरकारी तंत्र चुप है और उन्हीं के धर्म के लोग मज़े लेते हैं ये बोलकर कि वामपंथी है रवीश और निष्पक्ष नहीं है.. जैसे आजकल बहुसंख्यकों के हिसाब से जो निष्पक्ष न हो उसे मार डालना या उसे धमकाना सही बात है.. रवीश अपने ही धर्म, अपने देश, अपनी जाति के लोगों में अकेले हो गए हैं
कुछ दिन पहले मेरे बहुत अच्छे फेसबुक मित्र, जो भारत सरकार द्वारा पुरस्कृत एक डॉक्टर हैं, उन्होंने मुझे बताया कि एक दिन उन्होंने मौजूदा सत्ता के द्वारा फैलाए जा रहे नफरती एजेंडा पर कुछ लिख दिया था तो उनके पास एक बड़े संगठन का फ़ोन आया और उनको बाकायेदा धमकी दी गयी और भविष्य में ऐसा कुछ न लिखने के लिए बोला गया.. डॉक्टर साहब बहुत अधिक आहात थे क्यूंकि इसके पहले उनके ज़्यादातर कटाक्ष इस्लाम को लेकर होते थे और वो सोचते थे कि इस समय सबसे उग्र कौम मुसलमान ही है.. मगर सिर्फ एक ही पोस्ट से उनको ऐसी धमकी मिली कि वो बुरी तरह से आहात हो गए.. और अब आखिर में उन्होंने फेसबुक से अलविदा ले लिया
मेरे और कई मित्र हैं.. जो पहले तो बहुत मुखर थे इस्लामिक कट्टरता को लेकर और उनकी बड़ी वाहवाही थी मोदी ख़ेमे में.. मगर जैसे ही उन्होंने थोडा बहुत भी निष्पक्ष होकर अपने धर्म के लोगों को समझाना शुरू किया.. उनके धमकियों का दौर शुरू हो गया.. इस समय हालत कैसे हैं आप और हम सिर्फ़ कल्पना ही कर सकते हैं.. मेरे एक दोस्त की एजुकेशन की वेबसाइट पर हिंदी के एक चैप्टर में ये लिखा हुवा था कि वाल्मीकि पहले "डाकू" थे बाद में वो राम भक्त बने.. इस "डाकू" शब्द को लेकर उन्हें धमकियाँ मिली और उन पर कोर्ट केस किया गया एक हिंदूवादी संगठन द्वारा
मगर अगर आप हिन्दुवों से इस बात को लेकर बात कीजिये तो वो बात से बहुत आश्वस्त मिलेंगे और दावे से कहेंगे कि उनके अपने लोग कभी उग्र नहीं हो सकते हैं.. कहीं भी अगर आप लिखिए कि बहुसंख्यकों की उग्रता इस समय अपने चरम पर है तो "ठेकेदार" आ कर आश्वस्त करने लगे हैं कि "आप नाहक चिंता न करें.. हमारे लोग कभी ऐसे हो ही नहीं सकते, ये हमारा दावा है"
मुझे समझ नहीं आता है कि जो इस तरह के कमेंट कर के जाते हैं और हमे आश्वस्त करते हैं, क्या इनका अपना बच्चा या अपनी बीबी या अपना कोई इनकी बात सुनता भी है भला? ये अपने घर के चार लोगों के बारे में दावे करके कोई भी बात इतने आश्वस्त होकर कह सकते हैं कि मेरे घर के लोग ऐसा नहीं करेंगे.. और ये आ जाते हैं अस्सी करोड़ लोगों के बारे में समझाने हमे.. और ऐसे जैसे सारे हिन्दू इनकी बात सुनकर ही दिन का अपना काम शुरू करते हैं
ये चतुराई होती है "इन ठेकेदारों की" अपने समाज को और समाज सुधारकों को भ्रम में डालने की.. और भीतर से ये जानते हैं कि उग्रता में इन्हें मज़ा आ रहा है और ये उस उग्रता में स्वयं को सुरक्षित महसूस करते हैं.. ये इस बात से परेशान नहीं होते हैं कि अब खुलेआम धार्मिक त्योहार में लोग कट्टा और तलवार ले कर जुलूस निकालते हैं.. इन्हें ये बात ज़्यादा परेशान करती है कि हम जैसे इस बात को कह कर आम सोने वाले बहुसंख्यकों को जगा रहे हैं.. और इनका पूरा ध्यान इसी पर रहता है कि किसी तरह ये फिर से उन्हें धर्म रक्षा और संस्कृति रक्षा की मीठी गोली दे कर सुला दें
हिन्दू और कितने उग्र होंगे तब आप उन्हें उग्र मानेंगे? कोई तो पैमाना होगा आपके पास बताईये मुझे? रवीश को लगातार धमकियाँ मिल रही हैं.. ऐसे ही गौरी लंकेश को धमकियाँ मिलती थीं और फिर उन्हें मार डाला गया.. मेरे कई दोस्तों को धमकियाँ मिली हैं और मिल रही हैं.. कई फेसबुक छोड़ के चले गए.. जो एक दो अभी लिख रहे हैं उन्हें पूरा ग्रुप बना के ट्रोल किया जाता है और धमकियाँ दी जाती हैं.. कितनी उग्रता चाहिए आपको और?
बहुसंख्यक इस समय "लोरी" के मोड में है.. बस उसे प्यारी प्यारी बातें बताओ उसके धर्म की, अच्छी अच्छी गौरव भारी बातें उसके संस्कृति की सुनाओ.. सब अच्छा अच्छा सुनाओ तो वो आपसे बड़ा ख़ुश हो जाता है.. उसे बताओ राम और सीता के क्या गौरव थे, किस तरह अपने स्वभिमान के लिए किस देवता ने क्या किया.. कैसे ऋषि मुनि दिन रात गौरव और धर्म की रक्षा के लिए लड़ा करते थे कैसे प्राण देते थे.. वर्तमान और वास्तविकता इस समय बहुसंख्यकों को बहुत पीड़ा देती है
इनकी अपनी जाति से आया अपने धर्म का न्यूज़ एंकर रविश कुमार बुरी तरह से ट्रोल किया जा रहा है.. दिन रात उनके पास गाली और धमकी के फ़ोन आते हैं.. वो ब्लॉग लिखते हैं फ़ेसबुक पर लिखते हैं.. कितना सीरियस इशू है ये कि गुंडे ऐसे खुलेआम सरकारी संरक्षण के साथ आपने अपने लोगों, बुद्धिजीवियों को धमकाएं और आप के हिसाब से आपने लोग उग्र हो ही नहीं सकते.. "अरे नहीं ताबिश भाई ये आपने क्या कह दिया.. हम लोग और उग्र?? अरे आप अरबियों की बात कीजिये.. ये सब हमारे धर्म और संस्कृति का हिस्सा नहीं है ताबिश भैया.. न न.. बिल्कुल न.. एकदम नहीं"
आप जो ये ना ना कहते हैं और वास्तविकता से इनकार करते हैं, आपकी इस मानसकिता को पूरी तरह से सरकारी संरक्षण पाए लोगों द्वारा गढ़ा जा रहा है.. आप ध्यान से देखिये कि आपके समाज के जितने भी उग्र लोग, आतंक का इल्जाम लगा कर जेल में डाले गए लोग एक एक कर जेलों से बाहर किये जा रहे हैं.. ये आपको समझाया जा रहा है कि आपके उग्र लोग सब पाक साफ़ होते हैं.. उन्हें पिछली सरकार ने ग़लती से डाल दिया था और इन्ते दिनों से वो बेचारे जेल में पड़े थे
हाँ.. डॉक्टर कफ़ील ऐसे लोग जिन्होंने कितने मासूम बच्चों की जान अपने पास से सिलेंडर का जुगाड़ कर के की उन्हें सिर्फ़ इसलिए महीनों जेल में ठूंस के रखा गया ताकि आपको ये समझाया जा सके कि उसका नाम कफ़ील था तो उसने ये सरकार की साज़िश के लिए ऐसा किया था.. और आप इसे समझ जाते हैं.. सरकारी तंत्र अच्छी तरह जानता है कि आपको समझाना कैसे है.. मुसलमान नाम का कोई बरसों जेल में रहे तो आप मे से कोई एक सवाल सरकार से नहीं पूछेगा.. और हम जैसे अगर लिख देंगे उनके बारे में भी तो आपको फ़ौरन ये शक़ हो जाएगा कि शायद पाकिस्तान से मेरे तार जुड़े हैं या मैं मोदी जी से नफ़रत करता हूँ और इसका मतलब ये हुवा कि मैं हिन्दू धर्म से नफ़रत करता हूँ.. नहीं तो कफ़ील जैसे इंसान का नाम पोस्ट में लेने की क्या ज़रूरत थी? रवीश का नाम क्यूं लिया मैंने? यानी दाल में कुछ काला है ताबिश भाई.. असली चेहरा दिखा दिया आपने आख़िर.. हिंदुओं के दुश्मन बन गए आप
सोचिये चेतना के किस स्तर तक आपको पंगु किया जा रहा है और आप अपनी तारीफ़ में लहालोट रहते हैं.. आपको क्या लगता है कि विप्लव देव ने ऐसे ही महाभारत काल मे इंटरनेट होने की बात कर दो थी? ये सारा सरकारी तंत्र एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा में हैं कि बहुसंख्यकों के "दम्भ का पोषण" इस समय कौन सबसे अच्छा कर सकता है ताकि आप "लोरी" वाले मोड से बाहर न निकल पाएं और आंख न खुल सके आपकी
आसिफ़ा रेप केस में आपके "ठेकेदार" खूब लिख रहे थे कि सीबीआई से जांच क्यूँ नहीं करवाई जा रही है.. और ये लोग सीबीआई से ही जांच करवाना चाहते थे बस.. इन्हें जम्मू काश्मीर की सरकार पर भरोसा नहीं था.. जबकि वहां इनकी ही सरकार का गठबंधन है.. जानते हैं क्यूँ सीबीआई को जांच को इतना आतुर हैं ये लोग? इनको वही सरकारी तंत्र चाहिए अपना जो पूरी तरह से "इनकी" सत्ता के आधीन हो जहाँ से ये पाक साफ़ होकर क्लीन चिट के साथ बाहर आयें और आप को कल को फिर से गौरान्वित हो कर बता सकें कि आपके "उग्र" लोगों के ख़िलाफ़ झूठे रेप के इलज़ाम लगे थे
चेतिये.. रवीश आपके धर्म के ख़िलाफ़ नहीं है.. वो ख़ुद एक धार्मिक व्यक्ति है.. पूरा तंत्र मिलकर उसे आपका और आपके देश का दुश्मन साबित कर चुका है और आपने ये सवाल तक नहीं पूछा कि कैसे रवीश दुश्मन है हमारा और हमारे देश का? डॉक्टर कफ़ील महीनों जेल में रहे और आप मे से एक ने नहीं पूछा कि क्या जुर्म था उनका और क्यूं जेल में डाला? इस सरकारी तंत्र ने आपके अपने लोगों को आपका दुश्मन बना दिया है और आपने उसे सहजता से स्वीकार कर लिया है.. सरकार जानती है कि रवीश, कफ़ील या इन जैसों के साथ कुछ भी होगा तो आप कोई सवाल न करेंगे उल्टा मज़े लेंगे क्यूंकि आपके सत्ताधारी संगठनों ने आपको
आप कहते हैं कि रवीश एकतरफ़ा बोलते हैं.. ग़ज़ब हैं आप.. सारा तंत्र और सारे चैनल इस समय सरकारी हो चुके हैं.. रवीश डॉक्टर कफ़ील की न्यूज़ दिखायेगा और वो आपको देशद्रोह लगेगा.. बस यही ग़लती है रवीश की.. आप चाहते हैं कि रात को जब आप अपने बिस्तर में लेटे हों तो वो आपको पाताल की सैर करवाये, रावण का विमान दिखाए, महाभारत काल के लैपटॉप दिखाए तो आप मदमस्त होकर अपनी गौरवगाथा के दिव्य स्वप्नों में डूब सकें.. मगर रवीश आपको जगा देता है और आप बेचैन हो जाते हैं.. आपकी आत्मा जग जाती है और आप घबरा के "लोरी" वाले मोड में जाने को बेताब हो जाते हैं.. आपको रवीश से किसी निष्पक्षता की उम्मीद नहीं रहती है आप बस चाहते हैं कि वो चुप हो जाए.. वो ऐसी लोगों के लिए न खडा हो जिन पर सच में ज़ुल्म हो रहे हैं.. वो क्यूंकि नहीं रावण का खोया हुवा विमान ढूंढता है आखिर ताकि आप चैन से सो सकें?
चेतिये.. आपके लोग उग्र हो चुके हैं.. बहुत ही ज़्यादा उग्र और जो आश्वासन आप हमे देते हैं कि "ताबिश भाई घबराईये न हम लोग ऐसे नहीं होंगे" वो दरअसल होंगे नहीं बल्कि हो चुके हैं.. आपको अपनी जाति अपने धर्म के लोगों पर हो रहे अत्याचार और ज़ुल्म, धमकियाँ और उन पर की जा रही उग्रता नहीं दिख रही है अब
क्या आपको पता है.. ऐसे ही मुसलमानों ने अपने ही लोगों को शिया, अहमदिया, बोहरा, काफिर, मसीही बोलकर, उन पर होने वाले हर ज़ुल्म को स्वीकार लिया था.. और जो सत्ता में होते थे वो उन्हें बता देते थे कि हम तुमको थोड़े ही मारेंगे हम शिया को मारेंगे.. हम अहमदिया को मारेंगे.. और ऐसे ही कर कर के पाकिस्तान में उन्होंने हर उसको मारना शुरू कर दिया जो उनकी विचारधारा से मेल न खाता था.. फिर जब एक दिन पाकिस्तान की एक मस्जिद में बम फटा और सैकड़ों मारे गए थे तो मैंने बेनज़ीर भुट्टों का एक इंटरव्यू देखा था जिसमे वो घबराई हुई, लगभग रोती हुई, कह रही थीं "अरे ये लोग तो हम लोगों को ही मारने लगे.. हमने तो ऐसा सोचा ही न था"
बेनजीर सोचती थीं कि उन्होंने इनको बढ़ावा दिया था इसलिए ताकि ये लोग उनको मारें जो उनकी विचारधारा के न हों.. मगर वो ये नहीं जानती थी इन उग्रवादियों की भीड़ के पास कोई दिमाग नहीं होता है.. और अंत में यही हुवा.. बेनज़ीर को ख़ुद उन्हीं के लोगों ने गोली मार दी
आपको भी यही लगता है कि ये लोग बस रवीश जैसों को ही मारेंगे और धमकाएंगे.. ऐसा कुछ नहीं है.. बस आपनी बारी का आप इंतज़ार कीजिये साहब.. बस इंतज़ार
~ताबिश