भारतीय सांस्कृतिक सीधा-साधा: एकमात्र पुरातन देवता शिव का महत्व

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शिव के भक्ति में छिपा है जीवन का अनूठा दृष्टिकोण!

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Siddharth Tabish Writer

Image Credit: @SiddhartTabish FB

Indian Cultural Straightforward: The Importance of the Only Archaic God Shiva

भारत के एकमात्र पुरातन देवता शिव ही हैं.. हड़प्पा और मोहनजोदाड़ो और इस से भी पहले से शिव भारत के देव है.. मैं स्वयं अगर किसी भी देवता से कनेक्शन महसूस करता हूं तो वो शिव और कृष्ण हैं.. शिव की साधना में गूढता है और कृष्ण के उपदेश में गहराई.. शिव की साधना और व्यक्तित्व में बहुत ही गूढ़ और गहरा दर्शन है.. जीवन के शायद ही ऐसे कोई कोई आयाम हों जहां शिव का दर्शन उन्हें छूता न हो.. शिव के जीवन को आप किसी कहानी, उपन्यास या जीवनी के रूप में नहीं पसंद करते हैं, वहां दर्शन है जो आपको छूता है.. साधक और खोजी के लिए शिव और कृष्ण ही एकमात्र आध्यात्मिक गुरु हैं

वहीं राम से प्रेम, कहानी के एक पात्र के रूप में लोग करते हैं.. राम के पास साधक नहीं जाता है, वहां कल्पनाओं में जीने वाले वो लोग जाते हैं जिन्हें प्रभु की "कहानी" से प्रेम होता है.. ये कथा प्रेमी लोगों के देवता हैं और सबसे नए भी हैं.. राम के इर्द गिर्द आप आडंबर आसानी से जुटा सकते हैं क्योंकि वहां गूढ़ दर्शन का निर्माण हो ही नहीं पाया है.. मगर शिव और कृष्ण के इर्द गिर्द आप आडंबर की भीड़ नहीं जुटा पाएंगे.. क्योंकि जितने पुरातन देवता होते हैं उनका दर्शन उतना ही गूढ़ होता है और वहां उनके दर्शन में सेंध लगा कर आडंबर और अपने राजनैतिक फायदे सेट करना आसान नहीं होता है.. कृष्ण में इतना प्रेम है कि वहां वैसे भी कोई आडंबर काम नहीं करता है.. वहां या तो प्रेम है या फिर नहीं है.. कोई बीच का रास्ता नहीं है

इसीलिए राजनीति वाले शिव को कृष्ण से दूर भागते हैं.. वहां इनकी दाल नहीं गल पाती है क्योंकि वो भारत के सच्चे आराध्य हैं.. वहां पाखंड ओढ़ के आप नहीं बैठ पाएंगे.. शिव के सत्य में नग्नता है.. क्योंकि सत्य नग्न ही होता है.. वहां लिंग और योनि की बात होती है मर्यादा की नहीं.. सामाजिक मर्यादा पाखंडियों का हथियार होता है क्योंकि पाखंडी लोग मर्यादा के नियम और स्वरूप को "सेट" कर सकते हैं.. वो आपको बता सकते हैं कि एक मर्यादित पुरुष को कैसे होना चाहिए.. वहीं शिव मदिरा भी ले रहे हैं, नग्न भी हैं, धूम्रपान भी कर रहे हैं और तांडव भी, रचते भी हैं और विध्वंस भी करते हैं.. कहीं अर्धनारीश्वर हैं तो कहीं आक्रामक पुरुष.. यहां आप कैसे मर्यादा सेट करेंगे अपने मर्यादित समाज की? और जब आप मर्यादा सेट नहीं कर पाएंगे तो भीड़ को अपने काबू में कैसे करेंगे? राम को लेकर आप भीड़ को अपने "काबू" में कर सकते हैं और फिर उस भीड़ का इस्तेमाल कर सकते हैं.. शिव और कृष्ण को लेकर नहीं.. शिव और कृष्ण दर्शन की बड़ी टेढ़ी खीर हैं

आध्यात्मिक व्यक्ति सिर्फ़ शिव और कृष्ण से जुड़ता है.. उसे शिव से ही लगाव होता है और कृष्ण से प्रेम.. राम से सांसारिक लोग जुड़ते हैं, जिन्हें पारिवारिक और सामाजिक मर्यादाएं सेट करनी होती है.. जिन्हें संस्कृति और ऐसे समाज का निर्माण करना होता है जिसे वो "काबू" में कर सकें.. इसीलिए भारत के असल और आदि देव शिव राजनैतिक लोगों की पसंद नहीं होते हैं

~सिद्धार्थ ताबिश

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