चिकित्सा तकनीकों के आगे बढ़ने का खतरा: प्राकृतिक नियमों का उल्लंघन और आने वाले समय की चुनौतियां!
आज के विचारों के कुछ मुख्य बिंदु:
- मानव जीवन और स्वास्थ्य: चिकित्सा की तरक्की के साथ आने वाली चुनौतियाँ
- आनुवंशिक रोगों से लड़ाई: प्राकृतिक नियमों के महत्व का सच
- स्वस्थ जीवन और आनुवंशिक रोग: चिकित्सा के प्रगति और प्रकृति के बीच की टकराव
- मानव समाज में चिकित्सा की तरक्की: प्रकृति के नियमों की चुनौती
- आने वाले समय में स्वास्थ्य का खतरा: अप्राकृतिक जीवन शैली के परिणाम
आइए "Siddharth Tabish" के Facebook वॉल से जाने-
हम इस बात को बड़े गर्व से कहते हैं कि हमनें चिकित्सा क्षेत्र में इतनी तरक्की कर ली है कि हमने मानव मृत्यु दर को बहुत पीछे कर दिया.. अब हमारे पास बहुत सारी बीमारियों का इलाज है.. जिस बीमारी से लोग पहले मर जाया करते थे, अब हम उन्हें मरने नहीं देते हैं
आपके और हमारे हिसाब से ये उपलब्धि हो सकती है मगर प्रकृति के हिसाब से नहीं.. जिस तरह अब हम इंसानों को जिलाए रहते हैं वो पूरी तरह से अप्राकृतिक है.. प्रकृति का जो नियम था, सर्वाइवल ऑफ फिटेस्ट, यानि मज़बूत प्राणी ही जिएगा, उसे हमने अब पूरी तरह से नकार दिया है और हम एकदम उसके विपरीत चले गए हैं.. ये नियम जंगल के हर प्राणी पर अभी भी लागू होता है मगर मानवों के समाज में मनुष्यों पर नहीं.. और इसका घातक परिणाम आने वाले समय में दिखेगा हमें
क्योंकि हम मनुष्यों की जीन अब लगभग पूरी तरह से खराबी की ओर अग्रसर है.. मधुमेह से लेकर हृदय रोग और तमाम ऐसे रोग अब आनुवंशिक हो चले हैं.. चूंकि हम उस सर्किल को ब्रेक नहीं कर रहे हैं इसलिए ये रायता अब बहुत बुरी तरह से फैल चुका है.. मनुष्यों को चिंता ही नहीं है कि उनकी नस्लें स्वस्थ होंगी या नहीं.. उन्हें दहेज अच्छा मिले, पैसा ज्यादा मिले तो वो बुरी तरह से आनुवंशिक रोग से ग्रस्त व्यक्ति से संसर्ग करके बच्चे पैदा कर लेते हैं.. बहुत अधिक पैसे वाले इस समय सबसे खराब "जीन" लिए बैठे होते हैं.. क्योंकि आधुनिक चिकित्सा उन्हें मरने नहीं देती है.. और उनसे शादी को हर कोई तैयार बैठा रहता है.. अब आपका मिलन और प्रेम, कुछ भी प्राकृतिक नहीं बचा है.. वो प्रकृति के किसी नियम का पालन नहीं करता है
विशेषज्ञ सालों से इस बात पर ज़ोर दे रहे हैं कि यदि आपके परिवार में आनुवंशिक रोग है, जैसे मधुमेह, हृदय रोग, कैंसर, हाई ब्लड प्रेशर इत्यादि, तो आप बच्चे न पैदा कीजिए और खराब जीन को आगे बढ़ने से रोकिए.. मगर हमारी और सरकार बाज़ार अपने प्रोडक्ट बेचने के लिए इस बात को पब्लिक को समझाते हैं.. क्योंकि अगर बीमारी कम हुई तो मेडिकल का क्या होगा और भेड़ बकरियों जैसे इंसानों की आबादी कम हुई तो वोट का क्या होगा
अस्पतालों में इस समय जितने मनुष्यों को नैतिकता और करुणा की दुहाई देकर जिलाया जाता है, वो प्राकृतिक हिसाब से वहां होने ही नहीं चाहिए थे.. चूंकि आप प्रकृति के हिसाब से चल ही नहीं रहे हैं इसलिए आपके अस्पताल भरे हुवे हैं.. क्या आपने देखा है शेरों और सियारों का अस्पताल कोई? वहां सब फिट ही जीते हैं.. जब जब वैज्ञानिकों ने जंगली जानवरों की अप्राकृतिक ढंग से आबादी बढ़ानी चाही, वो बच्चे किसी काम के नहीं निकले.. मानव ही है जो पागल है.. प्राकृतिक रूप से असमर्थ माता पिता IVF से लेकर तमाम तकनीकी से बच्चे पैदा कर लेते हैं.. बिना ये सोचे कि जब प्रकृति हमें नहीं दे रही है तो जरूर कोई कमी होगी.. क्यों फिर ऐसे नस्ल लाना?
खराब जीन आगे बढ़ने से रोकिए.. अगर ये हमने कर लिया तो आने वाली नस्लें आपकी और हमारी, मेडिकल की गुलाम नहीं रहेंगी और 99% दुनिया के अस्पताल बंद हो जाएंगे
~सिद्धार्थ ताबिश
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