इतिहासिक मोमेंट, राम मंदिर हिन्दू समुदाय की एकजुटता में हो रहा एक नए धाराओं का आरंभ!

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राम मंदिर निर्माण से हिन्दू समुदाय की एकजुटता में रहा एक नए धाराओं का आरंभ!

अयोध्या में हो रहा मंदिर निर्माण एक ऐतिहासिक क्षण हो सकता है, जिससे हिन्दू समुदाय में एकता और अद्वितीयता की भावना बढ़ सकती है

अगर हिन्दू समुदाय को भी एक ऐसी संस्था मिलती है, तो इससे आने वाले समय में हिन्दू धर्म का स्वरूप बिलकुल अलग हो सकता है।

आइए "Siddharth Tabish" के Facebook वॉल से जाने-

Siddharth Tabish Writer

Image Credit: @SiddhartTabish FB

A historic moment marked the beginning of new narratives as the Ram Temple stood as a symbol of unity within the Hindu community.

Image Credit: representational

कितना भी इनकार कर लीजिये.. कितना भी विरोध कर लीजिये.. मगर हकीक़त यही है कि अयोध्या में जो होने जा रहा है वो एतिहासिक है

मैंने पहले भी लिखा था कि अगर राम मंदिर हिन्दुवों को एकजुट कर ले गया या उनको एक “दिखा” भी पाया, या एक होने का एहसास भी अन्य लोगों को करा पाया, तो फिर ये एक नए दौर की शुरुवात होगी.. क्यूंकि दुनिया के तीन सबसे बड़े धर्मों में एक हिन्दू धर्म ही ऐसा था जिसका अपना कोई एक “धार्मिक प्रतीकात्मक स्थल” नहीं था, जैसे इस्लाम और इसाईयत का है.. इसाईयत की पचास शाखाएं हैं, इस्लाम की पचास शाखाएं और हज़ारों फ़िर्के हैं.. मगर जो चीज़ उन्हें एक करती है वो है एक काबा, एक वेटिकेन

ये बात बिलकुल भी मायने नहीं रखती है कि इस्लाम को मानने वाले एक इश्वर में आस्था रखते हैं इसलिए वो सब एक हैं, नहीं.. ये बिलकुल गलत है.. क्यूंकि इस्लाम की आस्था हर मुल्क और हर प्रांत में अपने हिसाब से होती है.. यही हाल इसाईयत का है.. इसाईयत का संस्करण जो भारत में हैं वो कहीं और नहीं है.. इस्लाम का संकरण जो भारत में है वो कहीं और नहीं है.. भारत और पाकिस्तान में लाखों मुसलमान हैं जो अपने पीर और अपने संत को ही अल्लाह और ख़ुदा मानते हैं.. वो कहते भी हैं.. मगर जब इन सबको हज करना होता है तो ये “मक्का” ही जाते हैं.. तमाम विपरीत मान्यताओं के साथ ये सब एक वेटिकेन और एक मक्का में एकत्रित होते हैं

इसलिए एकजुटता एकेश्वरवाद से नहीं आती है.. एकजुटता भौतिक रूप से सथापित उस संस्था से आती है जो तमाम विपरीत धारणाओं और पंथों के बावजूद सबके लिए “एक” है.. और अगर हिन्दुवों के लिए इस एक “संस्था” की स्थापना हो गयी, जो तमाम मान्यताओं के बावजूद सबके लिए एक होगा, तो फिर आने वाले समय में हिन्दू धर्म का स्वरुप बिलकुल अलग हो जायेगा

हम और आप एक दौर को बदलते हुवे देख रहे हैं.. हम और आप एक धर्म का नवीनीकरण और पुनर्स्थापना एक साथ देख रहे हैं 

~सिद्धार्थ ताबिश

 

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