Best of Dr Kumar Vishwas… A new name to poetry!!

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कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है

मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है,

मैं तुझसे दूर कैसा हुँ तू मुझसे दूर कैसी है

ये मेरा दिल समझता है या तेरा दिल समझता है !!!

समुँदर पीर का अंदर है लेकिन रो नहीं सकता

ये आसुँ प्यार का मोती है इसको खो नहीं सकता ,

मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना मगर सुन ले

जो मेरा हो नहीं पाया वो तेरा हो नहीं सकता !!!

मुहब्बत एक एहसानों की पावन सी कहानी है

कभी कबीरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है,

यहाँ सब लोग कहते है मेरी आँखों में आसूँ हैं

जो तू समझे तो मोती है जो न समझे तो पानी है !!!

भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हँगामा

हमारे दिल में कोई ख्वाब पला बैठा तो हँगामा,

अभी तक डूब कर सुनते थे हम किस्सा मुहब्बत का

मैं किस्से को हक़ीक़त में बदल बैठा तो हँगामा !!!

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जिसकी धुन पर दुनिया नाचे, दिल एक ऐसा इकतारा है,

जो हमको भी प्यारा है और, जो तुमको भी प्यारा है.

झूम रही है सारी दुनिया, जबकि हमारे गीतों पर,

तब कहती हो प्यार हुआ है, क्या अहसान तुम्हारा है.

जो धरती से अम्बर जोड़े , उसका नाम मोहब्बत है ,

जो शीशे से पत्थर तोड़े , उसका नाम मोहब्बत है ,

कतरा कतरा सागर तक तो ,जाती है हर उमर मगर ,

बहता दरिया वापस मोड़े , उसका नाम मोहब्बत है .

पनाहों में जो आया हो, तो उस पर वार क्या करना ?

जो दिल हारा हुआ हो, उस पे फिर अधिकार क्या करना ?

मुहब्बत का मज़ा तो डूबने की कशमकश में हैं,

जो हो मालूम गहराई, तो दरिया पार क्या करना ?

बस्ती बस्ती घोर उदासी पर्वत पर्वत खालीपन,

मन हीरा बेमोल बिक गया घिस घिस रीता तनचंदन,

इस धरती से उस अम्बर तक दो ही चीज़ गज़ब की है,

एक तो तेरा भोलापन है एक मेरा दीवानापन.

तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है समझता हूँ,

तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है समझता हूँ,

तुम्हे मै भूल जाऊँगा ये मुमकिन है नही लेकिन,

तुम्ही को भूलना सबसे ज़रूरी है समझता हूँ

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तुम अगर नहीं आयीं...गीत गा ना पाऊँगा.

साँस साथ छोडेगी सुर सजा ना पाऊँगा..

तान भावना की है..शब्द शब्द दर्पण है..

बाँसुरी चली आओ..होट का निमन्त्रण है..

तुम बिना हथेली की हर लकीर प्यासी है..

तीर पार कान्हा से दूर राधिका सी है..

दूरियाँ समझती हैं दर्द कैसे सहना है..

आँख लाख चाहे पर होठ को ना कहना है

औषधी चली आओ..चोट का निमन्त्रण है..

बाँसुरी चली आओ होठ का निमन्त्रण है

तुम अलग हुयीं मुझसे साँस की खताओं से

भूख की दलीलों से वक़्त की सजाओं ने..

रात की उदासी को आँसुओं ने झेला है

कुछ गलत ना कर बैठे मन बहुत अकेला है

कंचनी कसौटी को खोट ना निमन्त्रण है

बाँसुरी चली आओ होठ का निमन्त्रण है

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ओ कल्पव्रक्ष की सोनजुही..

ओ अमलताश की अमलकली.

धरती के आतप से जलते..

मन पर छाई निर्मल बदली..

मैं तुमको मधुसदगन्ध युक्त संसार नहीं दे पाऊँगा

तुम मुझको करना माफ तुम्हे मैं प्यार नहीं दे पाऊँगा.

तुम कल्पव्रक्ष का फूल और

मैं धरती का अदना गायक

तुम जीवन के उपभोग योग्य

मैं नहीं स्वयं अपने लायक

तुम नहीं अधूरी गजल सुभे

तुम शाम गान सी पावन हो

हिम शिखरों पर सहसा कौंधी

बिजुरी सी तुम मनभावन हो.

इसलिये व्यर्थ शब्दों वाला व्यापार नहीं दे पाऊँगा

तुम मुझको करना माफ तुम्हे मैं प्यार नहीं दे पाऊँगा

तुम जिस शय्या पर शयन करो

वह क्षीर सिन्धु सी पावन हो

जिस आँगन की हो मौलश्री

वह आँगन क्या व्रन्दावन हो

जिन अधरों का चुम्बन पाओ

वे अधर नहीं गंगातट हों

जिसकी छाया बन साथ रहो

वह व्यक्ति नहीं वंशीवट हो

पर मैं वट जैसा सघन छाँह विस्तार नहीं दे पाऊँगा

तुम मुझको करना माफ तुम्हे मैं प्यार नहीं दे पाऊँगा

मै तुमको चाँद सितारों का

सौंपू उपहार भला कैसे

मैं यायावर बंजारा साँधू

सुर श्रंगार भला कैसे

मैन जीवन के प्रश्नों से नाता तोड तुम्हारे साथ सुभे

बारूद बिछी धरती पर कर लूँ

दो पल प्यार भला कैसे

इसलिये विवष हर आँसू को सत्कार नहीं दे पाऊँगा

तुम मुझको करना माफ तुम्हे मैं प्यार नहीं दे पाऊँगा

तुम मुझको करना माफ तुम्हे मैं प्यार नहीं दे पाऊँगा




Comments
Surya Pratap Singh (Umaria) [ Reply ] 2014-01-10 16:15:16
Hello Sir, I'm Surya Pratap Singh, main aapke sabhi poem padhe aur aapne jitne bhi poems likhe hain wo dil ko chhu jane wali rehti hai aur dua hai ki aage bhi isi tarah ke poem likhte jayein......... .......
sandeep (mumbai) [ Reply ] 2013-12-13 09:05:51
dear sir, u r a good poet as well as human too. thanks 4 being part of aap team. we wiill fight for freedom. i m also aap member and i proud 2 b part of it.
BHAWANA YADAV (agra) [ Reply ] 2013-08-19 05:18:20
Sabse pahele ap ko Rakchabandhan ki hardik badhayi meneap ki kavita to ST. JOHA'S COLLEGE mai suni thi ap ke geet or kavita dono hi ache the sath hi ap mai mai sarswati ka vash hi ap shikhar tak jaye or desh ka naam roshan kare. JAYE HIND
jai prakash sharma (alwar) [ Reply ] 2013-05-11 13:28:19
sir app ka jawab ni ............... ........... app ka yaduvanshi collage of engineering narnol ka performence live dekha tha sir ji diwana kar diya apne thank you
RAMJI GUPTA (Lucknow) [ Reply ] 2013-05-06 02:50:43
Dear sir,, you really write very great poems... I also love them very much .... I love to listen Kavi Sammelan very much..Please come to Lucknow and sing your poems... I feel jealous of you because I have also written some poems and I also want to become a great poet.... and want to write heart touching poemss;;;;;;;;; just read few lines written by me.. AATE HAI JO UNHE JANA HOTA HAI,, PATE HAI JO UNHE KHONA HOTA HAI... DUNIYA KA YAHIU DASTUR HAI SATHIYO KABHI HASNA TO KABHI RONA HOTA HAI, AEE YAAR MERE AEE PYAR MERE TUJHE MERI UMAR BHI LAG JAYE GAM KA KAHI NAMO NISHA NA HO DAAAMAN KHUSHIO SE BHAR JAAAYE ,,,,JO MIL NA SAKA HAMKO BHI KABHI HAI DUVA VO TUJHKO MIL JAYE........... .
manish manglam (Jabalpur) [ Reply ] 2013-04-28 23:02:09
Tusi jabab nahi.


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