आस ने दिल का साथ ना छोड़ा वैसे हम घबराए तो
शॅफॉक धनुक माहताब घटायें तारे नगमे.न बिजली फूल
उस दामन में क्या क्या कुछ है, वो दामन हाथ में आए तो
सुनी सुनाई बात नही है अपने उपर बीती है
फूल निकलते हैं शोलों से, चाहत आग लगाए तो
झूठ है सब तारीख हमेशा अपने को दोहोराती है
अच्छा मेरा ख्वाब-ए-जवानी थोड़ा सा दोहराए तो
by:Andleeb Shadani
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हर गोशा गुलिस्ताँ था कल रात जहाँ मैं था
एक जश्न-ए-बहारा था कल रात जहाँ मैं था
नगमे थे हवाओ में जादू था फ़िज़ाओं में
हर सा.न्स ग़ज़लफ़ा था कल कल रात जहाँ मैं था
दरिया-ए-मोहब्बत में कश्ती थी जवानी की
जज़्बात का तूफान था कल रात जहाँ मैं था
माहताब था बाहो.न में जलवे थे निगाहो.न में
हर सिम्त चरागा.न था कल रात जहा.न मई.न था
by: Khalid Kuwaiti
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उलफत का जब किसी ने लिया नाम रो प.ड़े
अपनी वफ़ा का सोच के अन्जाम रो प.ड़े
हर शाम ये सवाल मुहब्बत से क्या मिला
हर शाम ये जवाब के हर शाम रो प.ड़े
राह-ए-वफ़ा में हमको खुशी की तलाश थी
दो गाम ही चले थे के हर गाम रो प.ड़े
रोना नसीब में है तो औरो.न से क्या गिला
अपने ही सर लिया कोई इल्ज़ाम रो प.ड़े
by:Sudarshan Fakir
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जब नाम तेरा प्यार से लिखती हैं उंगलियाँ
मेरी तरफ ज़माने की उठती हैं उंगलियाँ
दामन सनम का हाथ मे.न आया था एक पल
दिन रात उस एक पल से महकती हैं उंगलियाँ
जिस दिन से दूर हो गये उस दिन से ही सनम
बस दिन तुम्हारे आने के गिनती हैं उंगलियाँ
पत्थर तराश कर ना बना ताज एक नया
फनकार की ज़माने मे.न कटती हैं उंगलियाँ
by:Madanpal
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हमसफ़र होता कोई तो बाँट लेते दूरियाँ
राह चलते लोग क्या समझें मेरी मजबूरियाँ
मुस्कुराते ख्वाब चुनती गुन-गुनाती ये नज़र
किस तरह समझे मेरी क़िस्मत की नमंज़ूरियाँ
हादसो.न की भीड़ है चलता हुआ ये कारवाँ
ज़िंदगी का नाम है लाचारियाँ मजबूरियाँ
फिर किसी ने आज छेड़ा ज़िक्र-ए-मंज़िल इस तरह
दिल के दामन से लिपटने आ गयीं हैं दूरियाँ
by:Sardar Anjum