इस्लाम का इतिहास - भाग 8
दुसरे दिन सुबह अब्राहा काबा की ओर अपनी सेना ले कर बढ़ा.. सबसे आगे हाथी था, जिसको इसलिए आगे रखा गया था ताकि वो "काबा" को रौंद दे.. "नुफैल", जो कि अरबों से अब्राहा द्वारा पकड़ा गया मार्गदर्शक था सेना के साथ सबसे आगे आगे चल रहा था.. यमन के "सना" से मक्का तक के सफर में उसने अब्राहा के सेनापति के आदेशों को अच्छी तरह याद कर लिया था.. काबा के सामने पहुंचकर जब सेनापति आगे के सैनिको को आदेश दे रहा था तो नुफैल ने नज़र बचा कर हाथी के कान में कुछ बोल दिया.. नुफैल की आज्ञा सुनते ही हाथी घुटनो के बल बैठ गया.. सैनिको और सेनापति ने एड़ी और चोटी का ज़ोर लगा लिया मगर हाथी काबा के सामने से टस से मस न हुवा
परेशान होकर सेनापति ने हाथ को पीछे मुड़ने का आदेश दिया और हाथी उठ के पीछे की तरफ चल पड़ा... मगर जब फिर आगे बढ़ने का आदेश दिया गया तो वो फिर घुटनो के बल बैठ गया.. कहा जाता है कि तभी आसमान काल होने लगा और सूरज छिपने लगा.. बड़े ज़ोर की गर्जना सुनाई देने लगी और जब अब्राहा और उसके सैनिको ने नज़र ऊपर उठायी तो देखा कि पूरा आसमान चिड़ियों ने घेर लिया था.. हर एक चिड़िया ने तीन कंकड़ उठा रखे थे.. दो पैरों में और एक चोंच में.. और जब वो कंकड़ ज़मीन पर गिरे शुरू हुवे तो सेना में अफरातफरी मच गयी.. क्योंकि वो कंकड़ जिसे भी लगते वो वहीँ ढेर हो जा रहा था
आखिरकार बचे कुचे सैनिक वापस भागे अब्रहा के साथ.. जिनमे से ज़्यादातर "सना" पहुँचते पहुँचते मर गए.. और "सना" पहुँचने के कुछ दिनों बाद ही अब्राहा का भी देहांत हो गया
ये घटना इस्लाम के इतिहास में, मुहम्मद के पैदा होने से पहले, पहली चमात्कारिक घटनाओं के रूप में दर्ज है
जब ये घटना घटी तो उस समय "अब्दुल्लाह" (मुहम्मद के पिता) अपने क़ाफ़िले के साथ, व्यापार के सिलसिले में, फिलस्तीन और सीरिया के दौरे पर थे.. वहां से वापस लौटते समय वो मदीना शहर में अपनी दादी के परिवार वालों के यहाँ रुके.. वहीँ उनकी तबियत बिगड़ गयी और बाकी का कारवाँ उन्होंने अपने बिना वापस मक्का भेज दिया.. जब उनके पिता अब्दुल मुत्तलिब को इसकी खबर मिली तो उन्होंने अपने एक बेटे "हारिस" को मदीना भेजा ताकि वो अब्दुल्लाह को अपने साथ सकुशल वापस ला सके.. मगर हारिस खाली हाथ वापस आये क्यूंकि "अब्दुल्लाह" का देहांत हो चुका था
अब्दुल्लाह का देहांत अब्दुल मुत्तलिब के लिए बहुत बड़ा झटका था.. आमिना उस समय अपने गर्भ के आखिरी दौर से गुज़र रही थी.. और कुछ समय बाद आमिना ने अपने चाचा के यहाँ अपने बेटे को जन्म दिया
जन्म के बाद आमिना ने अब्दुल मुत्तलिब को खबर भिजवाई और अब्दुल मुत्तलिब भागे भागे आये.. अब्दुल्लाह के जाने के बाद ये उनके लिए उस समय एक सबसे बड़ा तोहफा था जिस पाकर वो फूले नहीं समा रहे थे
नवजात बच्चे को अपनी गोदी में उठाये वो पहले "काबा" के भीतर गए और "हबल" देवता और अल्लाह का आशीर्वाद लिया.. फिर वहां से निकालकर वो बच्चे को अपने घर ले गए और सारे परिवार वालों को दिखाया
घर से बहार निकलते समय उन्हें अपना सबसे छोटा बेटा, "अब्बास" दिखा, जो उस समय सिर्फ तीन साल का था.. नवजात को अब्बास के सामने करते हुवे अब्दुल मुत्तलिब ने कहा "ये देखो अब्बास, ये तुम्हारा छोटा भाई "मुहम्मद".. चूमो इसे"
अब्बास ने मुस्कुराते हुवे मुहम्मद को देखा और झुक कर प्यार से "मुहम्मद" के माथे को चूम लिया
क्रमशः .....
~ताबिश