इस्लाम का इतिहास - भाग 22
काबा का पुनर्निर्माण कार्य सभी काबिले के लोगों ने मिल जुल कर तेज़ी से किया.. जब दीवार इतनी ऊँची हो गयी कि वहां "काले पत्थर" वाले कोने में काले पत्थर को लगाया जा सके तो लोग इस बात पर भिड़ गए कि काले पत्थर को उठाएगा कौन क़बीला.. क्यूंकि हर क़बीला अपनी श्रेठता "काले पत्थर" को उठा कर साबित करना चाहता था
काबा के एक कोने में लगे काले पत्थर का इतिहास काफी पुराना है.. बाद की इस्लामी धारणाएं इसको सीधे पहले पैग़म्बर "आदम" से जोड़ती हैं जबकि अन्य इब्राहीम से.. मूर्तिपूजक अरबों के लिए इस पत्थर की बड़ी मान्यता थी.. पुराने ऐतिहासिक दस्तावेजों के आधार पर इसे चाँद से टूटा हुवा एक टुकड़ा माना जाता था और जो कि सीधे चंद्र देवता "अल्लाह" जुड़ता था.. अरब "अल्लाह" को चंद्र देवता और देवताओं में सबसे बड़ा मानते थे और ये पत्थर उसी आस्था यानी अल्लाह का एक हिस्सा था
काले पत्थर को अपने स्थान पर लगाने के लिए संघर्ष मनमुटाव की स्थिति में पहुँच गया.. और फिर काबा का पुनर्निर्माण पांच दिन के लिए रुक गया.. फिर सभी क़बीले के लोगों की बैठक हुई मगर कोई निर्णय नहीं निकल पाया.. अंत में एक बुज़ुर्ग ने कहा कि "जो भी पहला व्यक्ति आज हरम की मस्जिद में दाख़िल होगा हम उसी से ये पत्थर उठवायेंगे".. काबे के आसपास की जगह को मस्जिद ही माना जाता था जहाँ बैठक और अन्य सांगठिक कार्य संपन्न किये जाते थे.. हरम (काबा) की मस्जिद में हर क़बीले के लिए अलग स्थान था.. जहाँ वो लोग अपने क़बीले के लोगों की समस्याओं का निवारण करते थे.. लोगों को ये बात जाँच गयी क्यूंकि इस तरह के फैसले में "अल्लाह" का ही निर्णय समझा जाएगा.. लोग बेसब्री मस्जिद के छोर की ओर देखने लगे.. और तभी लोगों को मस्जिद में दूर से कोई आता दिखा.. ये मुहम्मद थे जो अपने व्यापारिक सफ़र से अभी अभी वापस आ रहे थे.. लोग खुश हुवे क्यूंकि अब तो "अल अमीन (मुहम्मद)" वैसे भी उनके लिए ईमानदारी और सच्चाई की मिसाल बन चुके थे
मुहम्मद क़रीब आये और लोगों ने उनको सारी घटना से अवगत कराया.. मुहम्मद ने सोचने के बाद एक चादर मंगवाई और काला पत्थर उस चादर के बीचों बीच रखा..और फिर सम्मानित क़बीले के लोगों से चादर का एक एक कोना पकड़ने को कहा.. जब सबने मिल के काले पत्थर को उठा कर उसके स्थान तक पहुंचा दिया तो मुहम्मद ने फिर अपने हाथों से काले पत्थर को उठा कर काबा के कोने में लगा दिया.. और फिर इस तरह ये समस्या निपट गयी और पुनर्निर्माण कार्य फिर तेज़ी से पूरा किया गया
क्रमशः ...
~ताबिश