इस्लाम का इतिहास - भाग 17
जब पहली बार ख़दीजा ने मुहम्मद को सीरिया अपने व्यापार के लिए भेज था तो उनके साथ अपने एक ग़ुलाम "मेसरह" को भेज था.. यात्रा से वापस आते समय मुहम्मद एक पेड़ के नीचे आराम करने को रुके थे.. एक संत "बहीर" की कुटिया वहीँ पास थी..
मुहम्मद एक बार जब अपने चाचा के साथ व्यापार पर गए थे तब भी यहाँ रुके थे और उस समय वो छोटे थे और "बहीर" ज़िंदा था.. उस समय बहीर ने उनके चाचा को कहा था कि मुहम्मद "पैग़म्बर" हैं और इनको यहूदियों से बचाना.. ख़दीजा के व्यापार के समय जब वो दुबारा वहां गए तो बहीर मर चुके थे और उनका शिष्य नेस्तोरा कुटिया में था
मुहम्मद को पेड़ के नीचे आराम करता देख वो मेसरह के पास गया और बोला "और कोई नहीं बल्कि एक पैग़म्बर उस पेड़ के नीचे बैठा है".. वहां से लौटने पर मेसरह ने ये बात ख़दीजा को बतायी और ख़दीजा ने इसको अपने चचेरे भाई वरक़ह से बतायी.. वरक़ह ने कहा कि "जो बात मेसरह ने कही है अगर वो सच है तो जिस पैग़म्बर का इंतज़ार हम लोग कर रहे हैं वो मुहम्मद ही हैं".. कहा जाता है कि ख़दीजा का मुहम्मद को शादी के लिए बोलने की एक बड़ी वजह ये भी थी
खदीजा से शादी के बाद मुहम्मद अपने चचा का घर छोड़कर ख़दीजा के साथ रहने चले जाते हैं.. शादी के बाद जो पहला काम वो करते हैं वो था अपने बाप अब्दुल्लाह की "ग़ुलाम लड़की" बरकह को आज़ाद करना.. अब्दुल्लाह के बाद बरकह आमिना और मुहम्मद की अमानत बन जाती है.. बरकह ने मुहम्मद को बहुत लगन से पाला पोसा था जब तक कि वो बड़े न हो गए.. अब्दुल मुत्तलिब (मुहम्मद के दादा) ने एक बार बरकह से कहा था कि "मेरे बच्चे का ध्यान रखना क्यूंकि अहले-किताब (ईसाई और यहूदी) ये सोचते हैं कि ये अरब का पैग़म्बर है"
आज़ाद करने के साथ ही मुहम्मद ने बरकह की शादी उबैद बिन ज़ैद से करवाई और आगे चल के बरकह को एक बेटा अयमान हुवा और उसकी वजह से आने वाले दिनों में बरकह इस्लामिक इतिहास में "उम्मे अयमान" के नाम से जानी गयीं
क्रमशः...
~ताबिश