इस्लाम का इतिहास - भाग 15
अबू तालिब (मुहम्मद के चाचा और अभिभावक) और मुहम्मद का रिश्ता बचपन से ही बहुत गहरा हो गया था.. अबू तालिब ने मुहम्मद को अपने बच्चों से अधिक प्यार किया था.. और बदले में मुहम्मद ने भी उन्हें उतना ही प्यार दिया
बचपन में जब मुहम्मद छोटे ही थे, अबू तालिब को व्यापार के सिलसिले में बाहर जाना था.. जाने से पहले सबसे मिलते समय मुहम्मद उनसे लिपट गए और खूब रोये.. इतना रोये कि अबू तालिब ने उन्हें सीने से लगा लिया और खुद भी रोने लगे और कहा "अल्लाह गवाह है कि अब आगे से तुम्हे कभी अकेला छोड़ के नहीं जाऊँगा.. हमेशा अपने साथ रखूँगा"
जब मुहम्मद बीस के हुवे तब तक अबू तालिब को तीन बेटे और एक बेटी थी.. सबसे बड़ा लड़का "तालिब" मुहम्मद की ही उम्र का था.. उस से छोटा "अक़ील" तेरह से चौदह साल का था और "जफ़र" चार साल का.. और लड़की का नाम "फ़ाख़ितह" जो कि शादी के लायक हो चुकी थी.. मुहम्मद को बच्चों से बड़ा प्यार था इसलिए जफ़र से मुहमद का लगाव कुछ ज़्यादा ही था.. जफ़र के साथ खेलना और उसे खिलाना मुहम्मद को बहुत भाता था और खूबसूरत जफ़र भी मुहम्मद पर उतना ही प्यार लुटाता था.. जफ़र के साथ मुहम्मद ये रिश्ता एक अनूठे बंधन के रूप में सामने आने वाला था
एक ही परिवार में पलते बढ़ते मुहम्मद को "फ़ाख़ितह" से भी लगाव हो गया... और मुहम्मद ने अपने चाचा अबू तालिब से फ़ाख़ितह का हाथ माँगा.. मगर अबू तालिब ने फ़ाख़ितह के लिए मखज़ूम वंश के "हुबैरह" नाम के लडके को पहले से ही पसंद कर रखा था.. हुबैराह, अबू तालिब की माँ के भाई का लड़का था.. मखज़ूम वंश बहुत कुलीन था और हुबैरह दौलतमंद
जैसे मुहम्मद ने सादे शब्दों में फ़ाख़ितह का हाथ माँगा उसी तरह बहुत सरल तरीके से अबू तालिब ने ये कहते हुवे मना कर दिया कि "उन लोगों का क़र्ज़ गई हम पर क्योंकि उन्होंने अपनी लड़की हमे दे रखी है.. और कुलीन का कुलीन से साथ ज़्यादा ठीक है"
अबू तालिब का ये कहना कि उन्होंने हमे अपनी लड़की दे रखी है इसलिए मैं भी दूंगा.. से मतलब मखज़ूम वंश से उनकी पत्नी के होने का था.. जबकि मुहम्मद चाहते तो इस दलील को काट देते क्यूंकि अब्दुल मुत्तलिब (मुहम्मद के दादा) ने पहले ही अपनी दो बेटियां उस वंश में ब्याही थी.. मगर अबू तालिब का दूसरा कथन, जो की कुलीनता को ले कर था वो ज़्यादा सही ठहर रहा था उनके इनकार की वजह में
मुहम्मद उस समय गरीब ही थे और इस हैसियत में नहीं थे कि शादी कर सकें.. इसलिए अपने चाचा के बस इतना ही कहने पर वो एकदम चुप हो गए और फिर उन्होंने दोबारा कभी इस बात का नाम नहीं लिया
सर्फ ये बात, कि मुहम्मद ने फ़ाख़ितह से शादी की इच्छा जताई, इस बात को आधार बनाकर आजकल के कुछ विरोधी लेखक लोग ये कहते हैं कि फ़ाख़ितह मुहम्मद का पहला प्यार थी और मुहम्मद उसे बहुत चाहते थे.. मगर इतिहास के हिसाब से ऐसा कुछ प्रमाणित नहीं होता है.. क्यूंकि अबू तालिब मुहम्मद को जान से ज़्यादा चाहते थे और मुहम्मद भी उनको इतना ही प्यार करते थे.. अगर मुहम्मद फ़ाख़ितह से इतना अधिक प्यार ही करते तो वो इसे अबू तालिब से ज्यादा जोर दे कर कह सकते थे और वो भी तब इनकार न करते कभी..
उस समय मुहम्मद गरीब थे और वो शायद अपनी शादी को लेकर संशय में थे.. वो सोचते थे कि मुझ जैसे गरीब से कौन शादी करेगा.. और संशय को लेकर उन्होंने फ़ाख़ितह का हाथ माँगा था.. और उनका संशय सच साबित हुवा और यहाँ भी उनकी गरीबी ही इनकार का मुख्य कारण बतायी जाती है
इस घटना के बाद भी मुहम्मद के दिल में फ़ाख़ितह और अपने चाचा को लेकर कोई मनमुटाव न हुवा और फ़ाख़ितह के साथ हमेशा से उनके सम्बन्ध मधुर बने रहे.. फ़ाख़ितह आने वाले बाद के वर्षों में "उम्मे-हानी" के नाम से जानी गयीं
क्रमशः ...
~ताबिश