इस्लाम का इतिहास - भाग 11
नवजात मुहम्मद को लेकर हलीमा अपने डेरे पर पहुंची.. जो कि पहाड़ियों पर स्थित था.. हलीमा कहती हैं कि "मैंने मुहम्मद को अपनी गोद में ले रखा था और डेरे पर पहुँचते पहुँचते मेरे स्तन दूध से भर चुके थे.. मुहम्मद ने खूब दिल भर कर दूध पिया और मुहम्मद के "दूध भाई" ने भी आज खूब पेट भर लिया.. हारिस ने जब अपनी ऊंटनी को देखा तो उसका थन भी दूध से भरा हुवा था.. उस रात हम दोनों ने खूब पेट भर के दूध पिया और हम दोनों मिया बीवी और दोनों बच्चे बहुत चैन की नींद सोये"
दूसरी सुबह हारिस ने हलीमा से कहा कि "ये हम जिस किसी को भी ले कर आये हैं हलीमा.. ये हमारे लिए रहमत लग रहा है" हलीम ने कहा "बिलकुल.. हम पर रहमत हुई है"
उस दिन हलीमा और हारिस का क़ाफ़िला अपने अन्य लोगों के साथ "बनु साद" के क्षेत्र की ओर पलायन करता है.. हलीमा की जो गधी आते समय लगभग मरणासन्न अवस्था में थी जाते समय ऐसा भाग रही थी कि क़ाफ़िले के लोगों को लगा शायद ये नयी गधी है जो हलीमा को किसी ने दी है..
उस समय बनु साद के लोग जहाँ रह रहे थे वहां बुरा अकाल था मगर हलीमा के घर अब न दूध की कमी थी और न खाने की.. क्योंकि गधी ऐसी स्वस्थ कभी न थी और ऊंटनी ने पूरी उम्र इतना दूध कभी न दिया था.. कबीले के लोग अपने बच्चों को ये कह के डांटते थे कि "जहाँ हलीमा और हारिस के जानवर चरते हैं वहां तुम क्यों अपने जानवर नहीं चराते? देखो उनके स्तन कैसे हमेशा दूध से भरे रहते हैं"
हलीमा बताती हैं कि मुहम्मद बचपन में काफी तेज़ी से बढ़ रहे थे और कबीले के अन्य बच्चों और अपने दूध भाई के मुकाबले कहीं ज़्यादा हष्ट पुष्ट थे
एक दिन जब दोनों भाई डेरे के पास ही खेल रहे थे, हलीमा का लड़का भागता हुवा आया और बोला "मेरे कुरैशी भाई को देखो माँ.. दो लोग सफ़ेद कपडे में आये हैं और उन्होंने मुहम्मद का सीना चीर दिया है और जाने उसके साथ क्या कर रहे हैं"
हारिस और हलीमा भागे हुवे गए.. उन्हें वहां और कोई न दिखा मुहम्मद के सिवा.. मुहम्मद खड़े हुवे थे और काफी "पीले", थके हुवे और कमज़ोर दिख रहे थे.. हलीमा ने गोद में उठा के उनके कपडे उतारे मगर उन्हें कहीं कुछ न दिखा.. हाँ पीठ पर दोनों कन्धों के बीच एक उभरा हुवा निशान था.. मगर वो तो बचपन से ही था
मुहम्मद उस समय सिर्फ तीन साल के थे और हलीमा और हारिस के बार बार पूछने पर भी कुछ न बता सके
आने वाले कुछ सालों बाद जब मुहम्मद ठीक से बोलने और समझने वाले हुवे थे तब उस घटना के बारे में बताते हैं कि "दो लोग सफ़ेद कपड़ों में आये थे और उन्होंने उन्हें लिटा दिया और उनका सीना चीर दिया था मगर मुहम्मद को कुछ भी दर्द न हुवा.. वो चुपचाप सब देखते रहे और फिर उन सफेदपोश लोगों ने दिल के पास से एक काला खून का लोथड़ा निकाल कर बाहर फेंका और फिर सीना वापस बंद कर दिया"
क्रमशः ..
~ताबिश