म्यूजिक हमारे अंदर कि दबी हुई भावनाओ को निकालने कि पूरी क्षमता रखता है. यह अक्सर हमारा अतीत की कुछ बेहद खुबसूरत यादें जैसे स्कूल के दिनों में दोस्तों के साथ मस्ती करना, पार्क में अपने किसी ख़ास के बैठना या फिर माँ कि ममता, किसी गीत की धुन सुनकर हमारे सामने लाकर रख देता है और हम समय को रोक कर उसे समेटने लगते है.
जहाँ एक तरफ म्यूजिक हमें हमारे अतीत से मिलाता है, तो दूसरी तरफ वो किसी दवाई के रूप में भी काम आता है. म्यूजिक हमें मेडिटेशन में हेल्प करता है, म्यूजिक से आप अपना ब्लडप्रेशर कंट्रोल कर सकते है, आप को डिप्रेशन से बहार निकल ने भी म्यूजिक आपकी हेल्प करता है और अगर आप क्लासिकल म्यूजिक के शौकीन है और नियमित रूप से सुनते है तो आप और भी कई प्रकार कि शारीरिक समस्याओ से निजात पा सकते है.
जैसे सभी लोग एक दुसरे से अलग होते है वसे सी वो अलग –अलग म्यूजिक भी पसंद करते है. कोई बहुत ही लाउड म्यूजिक पसंद करता है, तो कोई सॉफ्ट, रोमांटिक म्यूजिक पसंद करता है. पर कभी–कभी म्यूजिक सुनते समय आपके शरीर के रोयें खड़े हो जाते है......क्यों?
अक्सर ही पाया गया है कि जब हम कोई म्यूजिक सुन रहे होते है तो उसकी धुन से कुछ सेकेंड्स के लिए पुरे शरीर में एक सुरसुरी सी दौड़ जाती है और हमारे शरीर के कुछ अंगों के रोयें खड़े हो जाते है. ये मात्र 4-5 सेकेंड्स के लिए होता है. इसे frisson कहते है.
Frisson आप तौर पर कंधे पर से शुरू होता है जब आप को हल्की सी ठण्ड महसूस हो रही होती है. ये एक तरह का बॉडी नेचेर है, तो इससे घबराने कि कोई जरुरत नहीं है.
लेकिन म्यूजिक सुनते समय ऐसा क्यों होता है? इस सवाल का जवाब, हार्वर्ड और वेस्लेयन विश्वविद्यालयों के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन से दिया है. उन्होंने बताया कि, जब कोई ऐसा म्यूजिक जो आप को किसी बेहद खुबसूरत पल कि याद दिलाता हो, उस समय वो आप के कान में पड़ते ही उस इमोशन को आप ही पूरी बॉडी में महसूस करवा देता है और आप के रोयें खड़े हो जाते है. और कभी-कभी कोई डरावना म्यूजिक भी इसी तरह आप के रोयें खड़े कर सकता है.
अगर इसे साइंस कि भाषा में समझे तो, जो म्यूजिक आप को बहुत पसंद है या आप को किसी ख़ास पल कि याद दिलाता है वो जैसे ही आप के कानो से होकर आप के दिमाग़ तक पहुचता है, वो तुरन्त आप के नर्व फाइबर को प्रभावित करता है. चूँकि नर्व फाइबर दिमाग़ के इमोशनल पार्ट से जुड़े होते है, तो वो तेज़ी से काम करने लगते है. जिससे बाद हम म्यूजिक कि गति के अनुसार उस इमोशन को अपने पुरे शरीर में महसूस कर सकते है, और इसी कारण कंधे से लेकर हाथ के रोयें हो जाते है.......खड़ें|
जिन लोगो के साथ ऐसा ज़्यादातर होता है, उनके बारे में शोधकर्ताओ का कहना है कि, वे लोग भावों को बड़ी तेज़ी से भाँप लेते है और तुरन्त फैसले लेने कि क्षमता भी रखते है...