हम भारतीय लोग जब काले रंग की मिसाल देते हैं तो अपनी समझ से सबसे काली चीज़ "कोयला"आ कर टिक जाते हैं.. अब तक कोयला और चारकोल एक तरह से हम इंसानों के लिए किए काले रंग की उपमा रही है.. मगर अब ऐसा नहीं है.. कोयले से भी काला कुछ है
सबसे पहले एक सबसे काली कही जाने वाली चीज़ "सुपर ब्लैक" मार्किट में आई.. इसे एक पेंट की तरह इस्तेमाल होने वाली वस्तु के रूप में "नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी लंदन" ने विकसित किया था.. ये सुपर ब्लैक पेंट 99.6% तक प्रकाश को अपने मे सोख कर लेता था या समाहित कर लेता था.. मगर सुपर ब्लैक के आने के बाद एक कंपनी (Surrey Nanosystem) ने, 2009 में, अपने रिसर्च द्वारा इस से भी अधिक "काले" पदार्थ का निर्माण किया जिसको उन्होंने नाम दिया "वेंटब्लैक" (VantaBlack).. इसका निर्माण वर्टिकली (Vertically) यानि लंबवत Aligned Carbon Nanotube Arrays द्वारा किया जाता है.. ये अप्राकृतिक रूप से तैयार किया गया इस पृथ्वी पर अब तक सबसे काला पदार्थ है
काला मतलब कितना काला?
VantaBlack इतना काला होता है कि ये अपने भीतर लगभग सौ प्रतिशत (99.965%) प्रकाश को सोख लेता है और कुछ भी प्रवर्तित नहीं करता है.. इसे आप ऐसे समझिये कि अगर आप वेंटब्लैक पेंट से अपने चेहरे को रंग लें तो सामने से देखने वालों को आपका चेहरा एकदम समतल काला दिखाई देगा..मतलब ये कि सामने वाला आपने चेहरे के उभार जैसे नाक, गाल और होंठ कुछ भी नहीं देख पायेगा.. उसे आपका चेहरा पूरी तरह से समतल किसी काले तवे जैसा दिखेगा
मगर ऐसा क्यूं? वेंटब्लैक से पेंट करने पर चीजें समतल क्यूं दिखने लगती हैं?
किसी भी वस्तु या व्यक्ति और उसका उभार और गहराई हमें इसलिए दिखाई देता है क्यूंकि वो वस्तु या व्यक्ति प्रकाश को परावर्तित करता है जिस से हमारी आँखें देख उसे देख पाती हैं.. मगर जब हम किस भी व्यक्ति या वस्तु को वेंटब्लैक से पेंट कर देते हैं तो प्रकाश का परावर्तन शून्य हो जाता है.. इसलिए सामने से देखने पर हमें उस व्यक्ति या वस्तु में कोई भी उभार और गहराई नहीं दिखते हैं इसलिए सामने से वो हमें पूरी तरह से समतल दिखता है
क्या वेंटब्लैक को हम अपने चेहरे और शरीर पर लगा कर उसे समतल दिखा सकते हैं?
वेंटब्लैक को किसी भी वस्तु पर पेंट के रूप में लगाने के लिए हमें उस वस्तु तापमान चार सौ डिग्री सेल्शियस करना होता है.. यानि वेंटब्लैक को किसी भी चीज़ पर तभी लगाया जा सकता है जब वो चीज़ या वस्तु 400 डिग्री के तापमान पर गर्म हो.. हम मनुष्य इतना अधिक तापमान नहीं सहन करते हैं इसलिए वेंटब्लैक को हमारे चेहरे और शरीर पर नहीं लगाया जा सकता है
फिर वेंटब्लैक का इस्तेमाल होता कहाँ है?
वेंटब्लैक का इस्तेमाल अभी खगोलीय शोध और स्पेस टेक्नोलॉजी में किया जा रहा है.. खगोलीय दूरबीन में इसके इस्तेमाल से प्रकाश के परावर्तन की संभावना न के बराबर हो जाती है और इसलिए खगोल अध्ययन में साफ़ और सुंदर तस्वीरें प्राप्त होती हैं.. वेंटब्लैक को इस समय इसके प्रकाश सोखने की क्षमता को देखते हुवे सौर्य ऊर्जा में भी इस्तेमाल किया जा रहा है.. वेंटब्लैक के दूसरे उपयोग सेना के रक्षा उपकरणों में भी बड़े पैमाने पर हो रहे हैं
(आर्किटेक्ट आसिफ़ खान ने साऊथ अफ्रीका में 2018 ओलम्पिक के खेलों के लिए ये VantBlack पवेलियन तैयार किया है)
क्या आप आदमी वेंटब्लैक को ख़रीद सकता है?
वेंटब्लैक को बनाने की लागत प्रतिग्राम हीरे और सोने से भी अधिक आती है इसलिए आम आदमी का इसे ख़रीद पाना लगभग संभव नहीं है.. मगर वेंटब्लैक के जैसा ही इसका दूसरा जुड़वां भाई Vantablack S-VIS एक स्प्रे पेंट के रूप में बाज़ार में उपलब्ध है जिसका कमर्शियल लाइसेंस भारतीय मूल के लंदन में रहने वाले बहुत मशहूर मूर्तिकार आशीष कपूर की कंपनी के पास है जिसे वो कला के क्षेत्र के लिए उपलब्ध कराते हैं.. इसके लिए भी आपको इसे डायरेक्ट कंपनी से संपर्क करना होता है और कई कागज़ी कार्यवाई के बाद ही कंपनी इसे आपको बेचती है
क्या वेंटब्लैक से भी काला कुछ अभी तक खोजा गया है?
जी हां.. हम इंसानों का दिल