हां सच है, की देश विकास की ओर जा रहा है, और विकास ऐसी गति से हो रहा है की इसका असर अब हम सभी को अपनी जेबों पर देखने को मिल रहा है.
पेट्रोल, जो सभी की मुख्या ज़रुरतो में से एक है, इस समय सरकारों की जेब भरने का मेंन सोर्स बन चूका.
26.मई.2014 को जब BJP सरकार ने शपथ ली थी, उस समय तेल की कीमत अन्तेर्राष्ट्रीय बाजार में 6330.65 रुपये प्रति बैरल थी और 11.सितंबर.2017 तक कच्चे तेल की कीमते घाट कर करीब-करीब 3368.39 रुपये प्रति बैरल हो गई है तब भी देश में पेट्रोल की कीमत 70 से पार है. जबकी आस-पास के देशों में पेट्रोल और डीज़ल की कीमते कम है.
तो सरकार कितनी GST लगा रही है?
ये गणित तो बस सरकार को ही बता है, और उसको पता है की कौन सा सूत्र किस ढंग से लगाना. आम जनता को बिना कुछ कहे कीमतें अदा करना है.
अगर इसे मोटे तौर पर समझें तो पेट्रोल और डीज़ल के मामले में देश की सरकारों का हाल भी किसी मल्टीनेशनल कंपनी से कम नहीं है. जिस तरह कोई कंपनी पहले किसी प्रोडक्ट का प्राईस एकदम से कम कर देती है, और जमकर विज्ञापन करती है, हमें लगता है की इस कंपनी के प्रोडक्ट कितने सस्ते है और हम उस कंपनी गुण-गान करने लगते है. बाद में धीरे से उस प्रोडक्ट के दामो में इज़ाफा होता जाता है और हम लोग उस पर ध्यान नहीं देते है.
हमारी सरकारे भी सेम इसी ट्रिक से बिज़नस करती है, जैसा की हम सब जानते है की अभी कुछ दिनों पहले पेट्रोल और डीज़ल के दाम को कम कर के लगभग 60-65 रूपए किया गया था. जो की 16 जून से धीरे-धीरे बढता जा रहा है और इस समय की हालत ये है, की पेट्रोल 70 से 72 रूपए में बिक रहा है जब की इस समय पेट्रोल की असल कीमत तो 31 रूपए के आस-पास है और जिस पर सरकार द्वारा 48 रूपये टैक्स के रूप में लिए जा रहे है..