ब्लू व्हेल गेम लागातर बच्चों की जान ले रहा है। लखनऊ के इंदिरा नगर के डी ब्लाक स्थित ननिहाल में रह रहे 14 वर्षीय कक्षा आठ के छात्र ने बृहस्पतिवार दोपहर में फांसी लगा ली।
आदित्यवर्धन सिंह हरदोई निवासी अधिवक्ता रूपेश कुमार सिंह का बेटा था। एक साल पहेल मां अरूणा उसे पढ़ाई के लिये के लिये अपने मायके लायीं थी।
आदित्य की नानी का कहना है कि एक हफ्ते से वो कोई गेम खेल रहा था। बृस्पतिवार को जब दोपहर एक बजे उसे आवाज़ दी। जवाब नहीं मिला तो उसके कमरे में पहुंची। दरवाज़ा खोला तो आदित्य का शव फंदे से लटका देखा।
अपने बच्चों को इस से बचाने के लिए क्या करना चाहिये मां-बाप और बड़ो को?
आज तीन-तीन साल के बच्चे मोबाइल चलाना सीख जाते हैं और हम उनके हाथ में मोबाइल दे भी देते हैं और सोचते हैं कि हम फ्री हैं। बच्चे भी सिर्फ मोबाईल और गेम को दुनिया समझ लेते हैं। न हम उनको कभी बैठकर कहानियाँ सुनाते हैं न कभी उनके साथ गेम खेलते हैं क्योंकि ज़िन्दग़ी इतनी तेज़ है कि हमारे पास समय ही नहीं होता है।
आप बच्चों को सिर्फ मोबाइल पर गेम मत खेलते दिये जब देखिये कि वो अगर दिन भर मोबाइल या प्ले स्टेशन खेलता दिख रहा हो तो उससे मना करिये और कहिये जाओ क्रिकेट या फुटबॉल खेले जाकर। इसी कारण बच्चों के चश्में भी जल्दी लग जाते हैं।
और आप अगर उसे मोबाइल पर गेम खेलने भी देते हैं तो इंटरनेट मत दिये जब आप साथ हों तब ही इंटरनेट दें और रोज़ उसके मोबाइल को चेक करिये। गेम चके करिये कि कौन-कौन से गेम खेल रहे हैं।
अगर उसके दोस्त नहीं हैं तो दोस्त बनवाइये और उसको बाहर की दुनिया को देखने दिये।
ब्लू व्हेल गेम में धमकी दी जाती है। कि ऐसा करो नहीं करोगे तो तुम्हारे घरवालों के साथ ऐसा किया जायेगा और बच्चे डर जाते हैं ये सब कर बैठते हैं। जो बहुत ख़तरनाक है।